श्रीनगर: सेना के एक ऑपरेशन के दौरान 20 मार्च को पकड़े गए आतंकी जैबुल्लाह ने पूछताछ जारी है और कई खुलासे हो रहे है. जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा से पकड़े गए आतंकी ने जमात-उद-दावा के बारे में बताया कि नए लड़ाकों को लगभग दो साल तक ट्रेनिंग की जाती है. जमात में वरिष्ठता के सात चक्र हैं, जो ट्रेनिंग पर नजर रखते हैं. इन लोगों को खैबर पखतुनखवा के जंगलों, मुजफ्फराबाद और मुदरिके के रीजनल सेंटर समेत सात जगहों पर ट्रेनिंग मिलती है. जैबुल्लाह अपने पांच अन्य साथियों के साथ भारतीय सीमा में हमले की प्लानिंग के तहत आया था, उसके बाकी साथियों को एनकाउंटर में मार गिराया गया और उसे जिंदा पकड़ लिया गया. इस दौरान दो पुलिस वाले भी शहीद हो गए थे. नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी (एनआईए) द्वारा की जा रही पूछताछ में जैबुल्लाह ने बताया, 'यह एक खुला निमंत्रण होता है. जमात के नेता 15-20 साल के पाकिस्तानी युवाओं को 'जिहाद' का हिस्सा बनने और खुद का बलिदान देने के लिए बुलाते हैं. उनका नाम, पता और फोन नंबर ले लिया जाता है. सात स्तर के वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर हाफिज सईद खुद है, लेकिन वहां उसका नाम आमिर साहब या आमिरे-मसगर है. हाफिज के नीचे जोनल, डिस्ट्रिक्ट, तहसील, टाउन और सेक्टर लेवल पर भर्ती करने वाले मौजूद हैं. इसमें ट्रेनिंग देने वालो को मसूल और सबसे निचले लेवल वालों को काकरून कहा जाता है.' जैबुल्लाह के मुताबिक, नए लड़ाकों के लिए मसूल मदरसों के बच्चों को चुनते हैं और उन्हें लाहौर के मुरिदके में स्थित सेंटर पर लाते हैं. जैबुल्लाह को उसके पिता ही ले गए थे, जोकि मुल्तान में एक मसूल के रूप में काम कर रहे थे. उसने छह ट्रेनिंग लोकेशंस के बारे में जानकारी शेयर की और बताया कि इन सेंटर्स को मसकर कहा जाता है. ये सेंटर्स हैं- मनशेरा में तारूक (दो महीने), डैकेन (पांच महीने), अंबोरे (दो महीने), अक्सा (दो महीने), खैबर (दो महीने) और मुरिदके. जैबुल्लाह ने यह भी बताया कि हर सेंटर पर पाकिस्तानी आर्मी और आईएसआई के लोग मदद के लिए मौजूद रहते हैं. पुलवामा आर्मी कैंप पर आतंकी हमला, 1 जवान शहीद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का जम्मू दौरा कल मेजर गोगोई कांड: फर्जी फेसबुक अकाउंट्स से लड़की से दोस्ती और भी कई राज ... जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने युवक का गला काटा