नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने कल यानि मंगलवार को शीर्ष अदालत में से कहा कि आतंकी या राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल लोग निजता के अधिकार को लेकर कोई दावा नहीं कर सकते। इसके साथ ही सरकार ने फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म को लेकर नए नियमों की चल रही कवायद को उचित बताया है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ केसमक्ष कहा कि आतंकी व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों केखतरों से निपटने के लिए सरकार नियमों में बदलाव करने जा रही है। ऐसा करना बड़े जनहित है। मेहता ने कहा, सरकार आम नागरिकों के निजता में दखल नहीं देने जा रही है लेकिन क्या आतंकी, निजता का दावा कर सकते हैं, मैं ऐसा नहीं समझता।’ सॉलिसिटर जनरल ने यह बात इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान की दलीलों के बाद दिया। दीवान का कहना था कि ऐसा कोई भी प्रयास नहीं होना चाहिए जिससे कि सोशल मीडिया पर अकाउंट के नाम पर व्यक्ति से निजी जानकारी मांगी जाती हो। शीर्ष अदालत ने फेसबुक द्वारा उस याचिका को स्वीकार कर लिया कि जिसमें सोशल मीडिया अकाउंट खोलने केलिए व्यक्ति के प्रोफाइल से संबंधित जानकारी मांगने से संबंधित मामले को लेकर मद्रास सहित अन्य हाईकोर्ट में लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित सभी तमाम मामलों पर अगले वर्ष जनवरी में सुनवाई करने का फैसला लिया गया। अगले हफ्ते इस अहम इस्लामिक मूल्क की यात्रा पर जाएंगे पीएम मोदी, जानें दौरे की वजह भारतीय सेना ऐसे सम्बंधित सामान्य ज्ञान के प्रश्न और उत्तर, जरूर पढ़े पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब के श्रद्धालुओं से की शुल्क की मांग, कांग्रेस बोली- सरकार खुद दे जजिया