नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 1996 में हुए लाजपत नगर ब्लास्ट मामले में दोषी एक आतंकी की जमानत की अपील ख़ारिज कर गुनाह करने वालों को कड़ा सन्देश देते हुए यह टिप्पणी की कि जो लोग इस तरह के गंभीर अपराध के दोषी हैं और आम लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं, वे कोर्ट से रहम की उम्मीद नहीं कर सकते. अगर आप इस तरह से आम लोगों को मारते हैं, तो आप अपने परिवार की बात कैसे कर सकते हैं. बेहतर होगा कि बेगुनाहों को मारने वाले अपने परिवारों को भूल जाएं. गौरतलब है कि चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुआई वाली पीठ ने इस मामले में जम्मू एंड कश्मीर इस्लामिक फ्रंट के आतंकी मोहम्मद नौशाद को अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया. स्मरण रहे कि उस ब्लास्ट में 12 लोगों की मौत हुई थी. आतंकी नौशाद ने अपनी बेटी के 28 फरवरी को होने वाले निकाह में शामिल होने के लिए अंतरिम बेल की अपील की थी.मामले की सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और संजय किशन कौल भी शामिल थे. बता दें कि इस मामले में पीठ ने कहा कि अगर कोई निर्दोष लोगों की अंधाधुंध हत्या के जघन्य अपराध में शामिल है तो यह बेहतर है कि वह अपने पारिवारिक संबंधों को भूल जाए. ऐसे लोगों को परिवार के किसी भी जरूरी काम में शामिल होने के लिए पैरोल या अंतरिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए. आतंकी नौशाद ने अपनी याचिका में कहा था कि वह 20 सालों से जेल में है और अब अपनी बेटी के निकाह में शामिल होना चाहता है. यह भी पढ़ें देश को डंपिंग यार्ड बनाने पर केंद्र को SC की फटकार SC ने की समाजवादी पेंशन योजना की सराहना