पटना: आज पीएफआई (PFI) के हैरतंअगेज षड्यंत्र का खुलासा हुआ है। PFI भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिए ‘मिशन 2047’ पर काम कर रहा है तथा इसके लिए उन्होंने अपना ठिकाना बिहार के पटना को बनाया। दरअसल, बीते कुछ दिनों से आतंकी संगठन बिहार में अपनी जड़ें मजबूत कर रहे हैं। पहले दहशतगर्दों का सेफ पैसेज कहा जाने वाला बिहार अब दहशतगर्दों का सेफ पैलेस बन गया है। पहले आतंकी घटना को अंजाम देने के बाद नेपाल या बांग्लादेश फरार होने के लिए बिहार का रास्ते के रूप में उपयोग होता था अब यह ठिकाना बन गया है। बीते कुछ वर्षों में जिस प्रकार यहां एक के बाद एक दहशतगर्दों के पनाहगाह के तौर पर मामले सामने आए हैं तत्पश्चात, कहा जा सकता है कि दहशतगर्दों को बिहार पसंद है। PFI से संबंधित 5 व्यक्तियों की गिरफ्तारी के बाद यह साबित हो गया कि आतंकी बिहार को अपना ठिकाना बना रहे हैं तथा यहां से देश तोड़ने का षड्यंत्र रच रहे हैं। ये भारत को तोड़ने, मुस्लिम राष्ट्र बनाने की योजना बना रहे हैं तथा इसके लिए यहां मुस्लिम युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। इस पूरे मामले में आज 3 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। जिनकी गिरफ्तारी हुई है उनमें दानिश, अरमान मलिक, शब्बीर आलम सम्मिलित हैं। इनकी सहायता PFI जैसी संस्था कर रही है। PFI जो स्वयं को न्याय, स्वतंत्रता एवं सुरक्षा का पैरोकार बताता है। मुस्लिमों के अतिरिक्त देश के दलितों, आदिवासियों की रक्षा की बात करता है। मगर यह दहशतगर्दों को पैदा करने वाला फैक्ट्री साबित हो रहा है। इसे सिमी का लेटेस्ट वर्जन भी कहा जाता है। पटना पुलिस ने पकड़े गए दो अपराधियों के घर से PFI एवं SDPI के पोस्टर सहित अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की। दोनों अपराधियों को कल भारत विरोधी गतिविधियों में सम्मिलित होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बिहार में PFI कैसे दहशतगर्दों को तैयार कर रहा था। तथा उसके क्या मंसूबे थे यह जानने से पहले PFI के बारे में जानते हैं तथा जानते हैं क्यों इसे सिमी का लेटेस्ट वर्जन बोला जाता है। PFI एक चरमपंथी इस्लामी संगठन है। यह स्वयं को पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकार के लिए आवाज बुलंद करने वाला संगठन बताता हैं। PFI की जड़ें कई प्रदेशों में है। कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी , तमिलनाडु के मनिथा नीति पासराई , गोवा के सिटिजन्स फोरम, राजस्थान के कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी, आंध्र प्रदेश के एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस सहित अन्य संगठनों के साथ मिलकर PFI ने कई प्रदेशों में अपनी पैठ बना ली है। इस संगठन पर कई समाज एवं देश विरोधी गतिविधियों के इल्जाम लगते रहे हैं। इसके कैडरों का कई आतंकवादी समूहों के साथ तार जुड़े हुए हैं। बोला तो यह भी जाता है कि PFI के कैडर इस्लामिक स्टेट जैसे खूंखार आतंकवादी समूहों से भी जुड़े हैं। उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन में भी इसके सम्मिलित होने के संकेत प्राप्त हुए हैं तत्पश्चात, वहां इसे प्रतिबंधित किए जाने की मांग हो रही है। वही अब बात बिहार की। पटना पुलिस ने जिन दो दहशतगर्दों को गिरफ्तार किया है उसके तार भी PFI से संबंधित हैं। इन दोनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना दौरे से पहले 11 जुलाई की शाम आईबी की इनपुट पर उठाया गया था। तब पुलिस ने शायद प्रधानमंत्री के दौरे के समय हालात पैनिक नहीं हो इसलिए इस बात का खुलासा नहीं किया, 12 जुलाई को दौरा ख़त्म होने के बाद 13 जुलाई को पुलिस इन्हें सामने लेकर आई। तत्पश्चात, खुलासा हुआ है कि ये पटना में PFI के दफ्तर में आतंकी ट्रेनिंग कैंप चला रहे थे। यहां ट्रेनिग देने के लिए केरल से PDI के कई सदस्य बतौर ट्रेनर पहुंचे थे। केरल के अतिरिक्त दक्षिणी कर्नाटक एवं हैदराबाद से भी कई PFI सदस्य यहां पहुंचे थे। ये सभी फर्जी पहचान के सहारे फ्लाइट की टिकट बुक कराते थे तथा उसी पहचान पर होटलों में ठहरते थे। पुलिस ने PFI की बैठकों में सम्मिलित होने वाले दो दर्जन से अधिक व्यक्तियों की पहचान की है। इनकी संख्या 100 के पार हो सकती है। पटना पुलिस ने जिन 2 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है उसमें एक तो झारखंड पुलिस का रिटायर्ड दारोगा है। वहीं दूसरा व्यक्ति अतहर परवेज प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सक्रिय सदस्य रह चुका है। अतहर आतंकवाद के अपराधियों का बेलर बनता था। उसका भाई मंजर परवेज 2001 बम ब्लास्ट मामले में जेल भी जा चुका है। अतहर भी एक मामले में अपराधी है। वह ट्रेनिंग फंडिग भी इकट्ठा कर रहा था। उसके खाते में लगभग 83 लाख रुपए प्राप्त हुए हैं। तत्पश्चात, अब ED खाते में आए पैसों की जांच करेगी वही पटना के PFI की कार्यालय से भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की तैयारी थी। इनके ठिकानों से कई आपत्तिजनक बैनर पंफलेट, वीडियो सहित अन्य दस्तावेज जब्त किए हैं। इनके पास से 8 पेज का विजन पेपर भी प्राप्त हुआ है। जिसमें इनका कहना है कि यदि मुसलमानों का सिर्फ 10 फीसदी भाग भी लामबंद होकर खड़ा हो जाए तो वह बहुसंख्यक कायर समुदाय को घुटनों पर ला देगा। ये इसी सोच के सहारे भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहते थे। PFI के भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के षड्यंत्र का मास्टरमाइंड झारखंड पुलिस का सेवानिवृत दारोगा मोहम्मद जलालुद्दीन है। फुलवारी शरीफ में इन्हीं के घर पर ‘मिशन 2047’ पर सारी चर्चाएं होती थी। जितनी भी ट्रेनिंग हुई उस समय वहां कुर्सी पर मोहम्मद जलालुद्दीन बैठा रहता था। मोहम्मद जलालुद्दीन ने स्वीकार किया है कि उन्होंने अतहर परवेज के साथ इस षड्यंत्र में सम्मिलित था। अरुणाचल प्रदेश: भाजपा MLA पर लगा बलात्कार का आरोप, FIR दर्ज, लेकिन गिरफ़्तारी नहीं जहांगीरपुरी हिंसा: दिल्ली पुलिस ने 37 आरोपियों के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट 'अल्लाह ने जो टैलेंट रोहित शर्मा को दिया, वो कोहली को नहीं दिया..'