चुनाव हारने के बाद भी थाईलैंड में सैन्य शासक ही करेंगे शासन

बैंकाक: थाइलैंड में हुए लोकसभा चुनाव के परिणामों का ऐलान कर दिया गया है और इसमें किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया है। देश में  24 मार्च को चुनाव हुए थे और 2014 से यहां सैन्य शासन लागू है। लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हुआ है, किन्तु सबसे ज्यादा सीटें विपक्षी पार्टी ने जीती है। इसके बाद भी जुंटा और 2014 सैन्य तख्तापलट के नेतृत्वकर्ता प्रयुथ चान-ओ-चा को पीएम पद से हटाना विपक्ष के लिए संभव नहीं है। 

गत 2 वर्ष में देश के संविधान में परिवर्तन कर ऐसी व्यवस्था बनाई गई है कि पूर्व पीएम थाकसिन शिनावात्रा के विश्वसनीय लोगों को सत्ता में आने से रोका जाए। थाइलैंड में सरकार गठन के लिए सीनेट को काफी अधिकार दिए गए हैं और 250 सदस्यों वाली सीनेट ही अपना अगला प्रधानमंत्री चुनेगी। इसका सीधा मतलब है कि अगर विपक्ष को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं होता है, तो सैन्य शासक के लिए सत्ता में वापसी करना सरल रहेगा। 

थाइलैंड की मुख्य विपक्षी पार्टी फीयू थाई ने 136 सीटें प्राप्त की हैं, जबकि सैन्य समर्थक पलंग प्रखरत पार्टी ने 115 सीटों पर जीत दर्ज हैं। फीयू थाई पूर्व पीएम थाकसिन शिनावात्रा से संबद्ध है, जिनके सहयोगियों को 2014 के तख्तापलट में सत्ता से बाहर कर गया था। फीयू थाई व इसके गठबंधन साझेदारों को निचले सदन में 500 सीटों में से कुल 245 सीट प्राप्त करने की उम्मीद जताई जा रही है, जो बहुमत से 6 सीटें कम है। यह सरकार बनाने या अगला पीएम चुनने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। यह फैसला संसद के दोनों सदनों द्वारा लिया जाएगा। देश की 250 लोकसभा सीट वाली सीनेट पूरी तरह से सेना द्वारा चुनी जाएगी, जो निश्चित माना जा रहा है कि सैन्य नेता प्रयुत चान-ओ-चा को सत्ता में बनाए रखने के लिए वोट देगी। 

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