भगवान शिव कैलाश निवासी है भारत में भगवान शिव के बहुत से ऐतिहासिक मंदिर स्थित है, आपने भगवान शिव के जिनते भी मंदिरों के दर्शन किये होंगे तो जिसमे आपने गौर किया होगा की कोई भी मंदिर ऐसा नहीं जिसमे उनके वाहन नंदी की प्रतिमा न हो. भगवान शिव के सभी मंदिरों में उनके साथ नंदी की प्रतिमा अवश्यक रूप से होती है. क्या आप जानते है कि नंदी को भगवान शिव का वाहन बनने का सौभाग्य किस प्रकार प्राप्त हुआ और वह भगवान शिव के साथ हमेशा क्यों विराजते है. भगवान शिव व नंदी के विषय में शिवपुराण में विस्तार से बताया गया इसके अनुसार शिलाद ऋषि के कोई भी संतान नहीं थी. जिसके कारण उनके मन ने अपने वंश के समाप्त हो जाने की चिंता सताने लगी. जिसे दूर करने के लिए उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या में लीन हो गए जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव उनके समक्ष प्रकट हुए तथा शिलाद ऋषि द्वारा मांगने पर उन्हें एक ऐसे पुत्र का वरदान दिया जो जन्म व मृत्यु के बंधन से मुक्त था. भगवान शिव के वरदान से नंदी की उत्पत्ति हुई थी जिसके कारण नंदी की भगवान् शिव में अटूट श्रद्धा थी जिसे देखकर भगवान शिव व माता पार्वती ने अपने समस्त गणों और वेदों के सामने नंदी को गणों में प्रमुख स्थान प्रदान किया जिससे नंदी को नन्दीश्वर के नाम से जाना जाने लगा. कुछ समय पश्चात नंदी का विवाह मारुतों की पुत्री सुयशा के साथ हुआ जिसमे भगवान शिव ने नंदी को वरदान दिया की जहाँ भी वह भगवान शिव निवास करेंगे सदैव उस नंदी भी आवश्यक रूप से होंगें.तभी से भगवान शिव के मंदिरों में नंदी को आवश्यक रूप से स्थापित किया जाने लगा. इसलिए भगवान शिव की तस्वीर हमेशा इस दिशा में लगायी जाती है भगवान भोले की नगरी का यह इतिहास शायद ही आप जानते हों आपकी यही गलती भगवान शिव को कर देती है जल्दी नाराज आखिर क्यों इस शिवलिंग की पूजा मुस्लिम भी करते है