कांग्रेस सरकार में 'भगवा आतंकी' कहकर पकड़े गए जो 12 हिन्दू, वे सभी निकले बेकसूर

मुंबई: 2006 के नांदेड़ ब्लास्ट मामले में महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर की एक अदालत ने 19 साल बाद 12 हिन्दुओं को निर्दोष करार दिया है। इनमें से तीन लोगों की मौत मुकदमे के दौरान हो चुकी है। अदालत ने पाया कि इस मामले में लगाए गए आरोप साबित नहीं हो सके। यह धमाका बम विस्फोट था या सिलेंडर फटने का हादसा, इसे लेकर भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले। 

उल्लेखनीय है कि, धमाका 4-5 अप्रैल 2006 को नांदेड़ के पतबंधारे नगर में लक्ष्मण राजकोंडवार के घर पर हुआ था। इसमें हिमांशु पानसे और नरेश राजकोंडवार की मौके पर मौत हो गई थी। इसके बाद मामले में गिरफ्तार किए गए 12 हिन्दुओं पर आरोप लगाया गया कि वे बम बना रहे थे और यह धमाका उसी दौरान हुआ। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इस मामले को भगवा आतंकवाद से जोड़ा गया और ‘हिन्दू आतंकवाद’ का नैरेटिव गढ़ने की कोशिश हुई। गिरफ्तार किए गए इन सभी लोगों को हिन्दू आतंकी कहा गया। 

अब कोर्ट ने 4 जनवरी 2025 को अपने फैसले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। जिनका नाम इसमें आया, उनमें से तीन – हिमांशु पानसे, नरेश राजकोंडवार और राहुल पांडे – की मौत हो चुकी है। अन्य नौ लोगों ने 19 साल तक यह कानूनी लड़ाई लड़ी। अदालत ने कहा कि यह साबित नहीं हुआ कि धमाका बम का था या यह सिलेंडर अथवा पटाखे फटने का हादसा था। 

 

यह मामला उस वक्त कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ATS और CBI को सौंपा गया था। तब इस मामले में हिन्दुओं को आतंकवादी ठहराने की कोशिश की गई। कांग्रेस ने इस मामले को मालेगांव ब्लास्ट से भी जोड़ने की कोशिश की, जिसमें भी बाद में आरोपी बरी हो गए। यह सब उस राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा था, जिसमें बहुसंख्यक समाज को बदनाम करने के लिए हिन्दू आतंकवाद का झूठा नैरेटिव गढ़ा गया। 

यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस ने हिन्दुओं को बदनाम करने की कोशिश की हो। 26/11 के मुंबई हमलों के बाद भी कांग्रेस नेताओं ने इसे हिन्दू आतंकवाद से जोड़ने का प्रयास किया। दिग्विजय सिंह ने तो '26/11: RSS की साजिश' नामक किताब तक लॉन्च कर दी थी। उस समय पाकिस्तान ने आतंकियों को हिन्दू नाम वाले ID कार्ड देकर भेजा था ताकि आतंक का ठीकरा भारत के बहुसंख्यक समाज पर फोड़ा जा सके, लेकिन कांग्रेस उसकी साजिश में साथ क्यों दे रही थी? ये सवाल आज तक कोई भी गांधी परिवार से नहीं पूछ पाया है। पूछने पर हो सकता है कि राहुल गांधी उस पर भाजपाई या संघी होने का ठप्पा लगा दें? कई बार देखा जा चुका है कि राहुल गांधी को जिस पत्रकार का सवाल पसंद नहीं आता, वो उसे भाजपा का एजेंट करार दे देते हैं।   

बाद में जब एकमात्र जिन्दा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब का कबूलनामा सामने आया कि उसे पाकिस्तान ने हूरों की लालच देकर भारत में जिहाद करने के लिए भेजा था, तो सभी कांग्रेस नेताओं को सांप सूंघ गया और किसी ने भी इसे इस्लामी आतंकवाद कहने की हिम्मत नहीं की। उल्टा अजमल कसाब की फांसी बचाने में कांग्रेस का पूरा इकोसिस्टम लग गया, लेकिन फांसी रुकवा नहीं सका।  

नांदेड़ मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने इसे कांग्रेस की राजनीति पर करारा तमाचा बताया है। VHP के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, "यह कांग्रेस के झूठ और षड्यंत्र का पर्दाफाश है। उन्होंने हिन्दुओं को आतंकवादी बताने का प्रयास किया, लेकिन अदालत ने सच्चाई सामने ला दी।" भाजपा नेता अतुल भटखालकर ने कहा, "कांग्रेस ने निर्दोष हिन्दुओं को साजिश के तहत फंसाया था। अब यह साबित हो गया है कि कांग्रेस का मकसद सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करना और बहुसंख्यक समाज को बदनाम करना था।"

ये मामला कई सवाल उठाता है कि, अगर आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, जैसा कांग्रेस बार-बार कहती थी, तो फिर हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी क्यों गढ़ी गई?  क्या यह राजनीतिक फायदे के लिए देश के बहुसंख्यक समाज को निशाना बनाने की साजिश थी? क्यों कांग्रेस ने पाकिस्तान की साजिशों के साथ कदम मिलाते हुए हिन्दुओं को बदनाम करने का काम किया? 

आज नांदेड़ मामले में अदालत के फैसले ने कांग्रेस की उस घृणित राजनीति को उजागर कर दिया है, जो देश को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही थी। देश की जनता को यह समझना होगा कि ऐसी राजनीति न केवल समाज को तोड़ती है, बल्कि आतंकवाद के असली अपराधियों को बचने का मौका देती है।

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