नई दिल्ली: फ्रांस की राजधानी पेरिस में 4 से 8 सितंबर तक पैरालंपिक खेलों का आयोजन हो रहा है, जिसमें दुनियाभर के दिव्यांग खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। भारत ने भी इन खेलों में 84 एथलीट भेजे हैं और उनकी मेहनत का फल मिलते हुए भारत ने अब तक 24 मेडल जीते हैं। इनमें 5 गोल्ड, 9 सिल्वर, और 10 ब्रांज मेडल शामिल हैं। भारतीय खिलाड़ियों ने तीरंदाजी, शूटिंग, और बैडमिंटन जैसे खेलों में गोल्ड मेडल जीते हैं, और कई ऐसे खेलों में भी मेडल जीते हैं, जहां पहले उम्मीद कम थी। पेरिस पैरालंपिक के इस शानदार प्रदर्शन के बाद भारत में इसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की है और रिकॉर्ड तोड़ने के बाद भारतीय दल में उत्साह भर गया है। भारत सरकार ने 2021-24 के बीच पैरालंपिक खेलों के लिए ₹74 करोड़ खर्च किए हैं, जबकि टोक्यो पैरालंपिक के लिए यह राशि ₹26 करोड़ थी, यानी इस बार बजट में लगभग 2.8 गुना की बढ़ोतरी की गई है। पैरालंपिक खेलों की चर्चा केवल भारत के रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन के कारण ही नहीं हो रही, बल्कि इसका एक कारण यह भी है कि हाल ही में पेरिस में हुए ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा। भारत ने ओलंपिक में कुल 6 मेडल जीते, जिसमें 5 ब्रांज और 1 सिल्वर मेडल शामिल था, और एक भी गोल्ड मेडल नहीं मिला। नीरज चोपड़ा और विनेश फोगाट जैसे प्रमुख खिलाड़ियों की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाईं। विनेश के मामले में वजन बढ़ने के कारण उनका सिल्वर मेडल भी हाथ से निकल गया और इसके पीछे कई विवाद उठे। ओलंपिक खेलों के लिए भारत सरकार ने ₹470 करोड़ खर्च किए थे, और 117 एथलीटों ने भाग लिया, लेकिन केवल 5 मेडल ही मिले। इसके मुकाबले, पैरालंपिक खेलों में कम फंड के बावजूद भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। यह सवाल उठता है कि ओलंपिक खेलों के लिए इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद प्रदर्शन कमजोर क्यों था, जबकि पैरालंपिक खिलाड़ियों ने कम संसाधनों के बावजूद उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। क्या इसकी वजह ओलंपिक खिलाड़ियों में बढ़ती राजनीति और विवादित गतिविधियाँ हैं? हमने देखा है कि खेल के लिए प्रैक्टिस करने की बजाय, पहलवान विनेश फोगाट राजनीति में सक्रिय हो गईं और अब कांग्रेस ने उन्हें चुनावी मैदान में भी उतार दिया, जिसके कयास बहुत पहले से ही लगाए जा रहे थे, जब विनेश विरोध प्रदर्शन कर रहीं थीं और राकेश टिकैत जैसे नेताओं से मिल रही थी। वहीं, पैरालंपिक खिलाड़ी आमतौर पर अपने खेल में मौन रहते हैं, और उनकी मेहनत की सफलता जोरदार होती है। यह भी सवाल उठता है कि क्या खिलाड़ियों की राजनीति और चुनावी गतिविधियाँ खेल के प्रदर्शन को प्रभावित करती हैं। अब देखना यह होगा कि ओलंपिक खिलाड़ी आगामी खेलों में कैसा प्रदर्शन दिखाते हैं और क्या वे पैरालंपिक खिलाड़ियों से सीख लेकर मेडल तालिका में सुधार कर सकते हैं। बांग्लादेश ने पकिस्तान को घर में घुसकर धोया, टेस्ट सीरीज में 2-0 से हराया पेरिस पैरालिंपिक में भारत को एक और पदक, डिस्कस थ्रो में योगेश कथुनिया को सिल्वर पेरिस पैरालंपिक: निषाद कुमार ने हाई जंप में जीता सिल्वर, पीएम मोदी ने दी बधाई