नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने ऐसी राजनितिक दलों के खिलाफ कार्यवाही करने का आदेश दिया हैं. जो सिर्फ कागज़ पर ही मौजूद हैं और साथ ही ऐसी पार्टिया जिन्होंने साल 2005 से 2015 तक किसी भी साल कोई स्थानीय निकाय, विधानसभा या लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा हैं. ज्ञात हो की चुनाव आयोग ने ऐसी 55 पार्टियों को पहले से ही सूंची से हटा दिया हैं. जो केवल कागज पर ही मौजूद थी. इन राजनीतिक दलों को सूंची से हटाये जाने का कारण चुनाव आयोग ने काले धन को सफ़ेद करना बताया हैं. चुनाव आयोग ने इन फर्जी राजनीतिक दलों पर ये आरोप लगाए हैं की ये दल काले धन को सफ़ेद करने में अहम् भूमिका निभाते थे. चुनाव आयोग ने ये भी कहा कि कई पार्टियों ने अपना आयकर रिटर्न भरा भी हैं या नही इसका कोई पुख्ता प्रमाण आयोग के पास नही हैं. गौरतलब हो कि किसी भी पार्टी का पंजीकरण रद्द करने का सीधे अधिकार चुनाव आयोग के पास नही हैं. लेकिन आयोग जन प्रतिनिधित्व 1951 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके पार्टियों का चुनाव चिन्ह वापस ले सकता हैं. इस वक़्त देश में 7 राष्ट्रिय दल और 58 प्रादेशिक दल हैं. जो व्यावसायिक तरीके से चुनाव लड़ते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी खास राजनीतिक दलों को मिलाकर कुल 1786 राजनीतिक पार्टिया रजिस्टर्ड हैं. इनमे से कुछ तो ऐसी पार्टियों हैं जिनके पते तक गलत दिये गए हैं. चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसी फर्जी राजनीतिक पार्टियों का मकशद बस पैसो की उगाही करना हैं. और ये कार्यवाही इसलिए की जा रही है जिससे लोगो को पता चल सके कि काले धन को सफ़ेद करने के लिए राजनीतिक पार्टी बनाना गैरकानूनी है. हाई प्रोफाइल कॉकटेल पार्टी पर पुलिस का छापा,बड़ी हस्तियों सहित 261 हिरासत में