नई दिल्ली: देश की पहली इंजन लेस ट्रेन 18, शुक्रवार को मुरादाबाद पहुंच गई है। इस ट्रेन का शनिवार को बरेली से मुरादाबाद के बीच पहला ट्रायल रन किया जाएगा। बता दें कि रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन की टीम ट्रायल रन के लिए मुरादाबाद पहुंच गई है। वहीं बता दें कि ये ट्रायल तीन से चार दिनों तक होगा और ये ट्रायल फैक्टरी के बाहर ही होगा। जिसके बाद इसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन को आगे के ट्रायल्स के लिए सौंप दिया जाएगा। पंजाब में नदियां खतरनाक स्तर तक प्रदूषित, एनजीटी ने ठोंका 50 करोड़ का जुर्माना यहां बता दें कि इस ट्रेन में सेल्फ प्रॉपल्शन मॉड्यूल है, जिसकी वजह से ये ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। वहीं इस ट्रेन में क्विक एक्सीलरेशन को इन्हैंस किया गया है। बिना इंजन की इस ट्रेन में 16 कोच हैं, इस ट्रेन से यात्रा करने पर शताब्दी से लगने वाले वक्त में 15 प्रतिशत की कटौती हो जाएगी इस ट्रेन को चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्टरी में 18 महीनों के अंतराल में बनाया गया है। इसके अलावा इस फुली एसी ट्रेन के डिब्बों को ऐसे डिजाइन किया गया है, जिससे कि पैसेंजरों को ड्राइवर की केबिन तक दिखाई देगी। मुजफ्फरपुर में छात्र भड़के, कुलपति आवास पर जड़ा ताला गौरतलब है कि इस ट्रेन को बनाने में 100 करोड़ की लागत आई है लेकिन भारतीय रेलवे के इंटीग्रेटेड कोच फैक्टरी के जनरल मैनेजर सुधांशु मणि ने बताया कि इस प्रोटोटाइप के आगामी उत्पादन में कम लागत लगेगी। इस ट्रेन में सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे और इसमें दो एक्जीक्यूटिव कंपार्टमेंट होंगे, इनमें से हरेक में 52 सीटें होंगी, वहीं सामान्य कोच में 78 सीटें होंगी। इसके साथ ही इस ट्रेन में जीपीएस बेस्ड पैसेंजर इन्फॉर्मेशन सिस्टम के अलावा डिफ्यूज्ड लाइटिंग, ऑटोमेटिक दरवाजे और रिट्रैक्टेबल सीढ़ियां होंगी। खबरें और भी सबरीमाला विवाद: प्रदर्शनकारियों ने तृप्ति देसाई को एयरपोर्ट पर घेरा, क्षेत्र में धारा 144 लागू उत्तर प्रदेश: चौबीस घंटे चली मुठभेड़ में पुलिस ने पकड़े चार इनामी सहित पांच बदमाश 20 साल पहले हुआ था देश में पहले बच्चे का लिवर ट्रांसप्लांट