नई दिल्ली: एक नाबालिग लड़की की पिता के साथ रहने और मां के साथ ब्रिटेन न जाने की इच्छा का सुप्रीम कोर्ट ने सम्मान किया है। शीर्ष अदालत ने लड़की की कस्टडी पिता को दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 15 साल की लड़की पर्याप्त रूप से परिपक्व है। अगर वह मां के पास ब्रिटेन नहीं जाना चाहती तो अदालत उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे विदेश भेजने का जोखिम नहीं ले सकती। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस आर के अग्रवाल की बेंच ने कहा कि अदालत बच्ची को उसकी इच्छा के खिलाफ विदेश नहीं भेज सकती। इस तरह की परिपक्व लड़की के लिए जबरदस्ती विदेश भेजा जाना उसे मानसिक रूप से नुकसानदेह हो सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मां को थोड़े वक्त के लिए उसकी कस्टडी देकर पर्याप्त मौका दिया गया कि वह बच्ची का विश्वास जीत सके। लेकिन वह इसमें नाकाम रहीं। बच्ची पिता के साथ खुश है और उसी के साथ रहना चाहती है। इस मामले में महिला ने यूके की एक अदालत में पति से तलाक ले लिया था। जबकि पति 2010 में बच्ची के साथ भारत आ गया था। उसने यहां की अदालत में पत्नी से तलाक ले लिया था। नवंबर, 2009 में पिता भारत आ गया था जबकि मां ने 2010 में अपनी बच्ची के लिए ब्रिटिश नागरिकता ले ली थी। और पढ़े- SC के निर्णय से 10 हजार कर्मचारियों का हो सकता है डिमोशन BJP नेता ने की ऐसी सिफारिश, कि स्वीकृत हुई तो कई CM नहीं लड़ सकेंगे चुनाव केजरीवाल सरकार के करोड़ों रूपए के भ्रष्टाचार की बात करने वाले पत्रकार पर जानलेवा हमला