दमिश्क: सीरिया में विद्रोहियों ने बड़ा मोड़ लेते हुए राजधानी दमिश्क पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है। राष्ट्रपति बशर अल-असद, जो 24 सालों से देश पर तानाशाही शासन कर रहे थे, देश छोड़कर भाग गए हैं। विद्रोहियों ने दमिश्क के महत्वपूर्ण सरकारी संस्थानों, जैसे रक्षा मंत्रालय और रेडियो-टीवी भवन, पर कब्जा कर लिया है। ये भवन सत्ता परिवर्तन के प्रतीक माने जाते हैं और यहां से नई सरकार के गठन की घोषणा की जा सकती है। दमिश्क की सड़कों पर विद्रोही हवाई फायरिंग कर अपनी जीत का जश्न मना रहे हैं। जनता भी बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकलकर "आजादी" के नारे लगाते हुए इस बदलाव का स्वागत कर रही है। विद्रोही नेताओं ने ऐलान किया है कि अब सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जा रहा है और अन्याय के युग का अंत हो गया है। 50 साल पहले, बशर अल-असद के पिता हाफिज अल-असद ने बड़े पैमाने पर खून-खराबे के जरिए सत्ता पर कब्जा किया था। अब विद्रोहियों ने इसे खत्म करते हुए एक नए युग की शुरुआत की घोषणा की है। विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने कहा, "50 वर्षों के उत्पीड़न और 13 वर्षों के अत्याचारों के बाद, आज 8 दिसंबर, 2024 को एक काले अध्याय का अंत हो गया है।" दमिश्क में विद्रोहियों की एंट्री के साथ ही एयरपोर्ट पर भगदड़ मच गई है। असद समर्थक बड़ी संख्या में देश छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बशर अल-असद एक विशेष विमान से अज्ञात स्थान के लिए रवाना हो गए हैं। हालांकि, सरकार ने पहले इन खबरों का खंडन किया था, लेकिन अब यह साफ हो चुका है कि असद ने दमिश्क छोड़ दिया है। पिछले 10 दिनों में विद्रोहियों ने अलेप्पो, होम्स और हामा जैसे बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया था। उनकी राजधानी दमिश्क में एंट्री कल शुरू हुई, और 24 घंटे के भीतर उन्होंने पूरे शहर को अपने नियंत्रण में ले लिया। इस दौरान विद्रोहियों ने दमिश्क के बाहरी इलाके में स्थित सेडनया जेल से सैकड़ों कैदियों को रिहा किया। यह जेल सीरियाई सरकार के दमन का प्रतीक मानी जाती थी, और विद्रोहियों ने इसे "अत्याचार के युग का अंत" करार दिया। इस पूरे घटनाक्रम में सीरियाई सेना का प्रतिरोध लगभग न के बराबर रहा। सेना के कई हिस्सों ने बिना संघर्ष के हथियार डाल दिए। गांवों और सड़कों पर असद के पोस्टरों और मूर्तियों को हटाया जा रहा है, जो बदलते दौर का प्रतीक है। यह घटनाक्रम सीरिया में एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत देता है। अब दुनिया की नजर इस पर है कि विद्रोही सरकार कैसे गठन करती है और देश में स्थिरता लाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। जम्मू-कश्मीर में दो पुलिस जवानों के शव मिले, एक-दूसरे को मारी थी गोली अजमेर से पीएम मोदी को मिली बम से उड़ाने की धमकी, जांच में जुटी पुलिस टारगेट पूरा करना था..! तो शराब पिलाकर कुंवारे युवक की ही नसबंदी कर डाली