कोरोना कहर के बीच भारत की दूरसंचार क्रांति में एक दौर था, जब हर गली-मुहल्ले और चौक-चौराहों पर एक नहीं, कई-कई पीसीओ बूथ हुआ करते थे. इन पीसीओ में एक निर्धारित शुल्क देकर लोग अपने परिजन से फोन पर बात करते थे. उस दौर में पान दुकान से लेकर किराना दुकान में एक फोन रखा दिख जाता था. मोबाइल फोन की दुनिया ने पीसीओ की उस पूरी व्यवस्था को खत्म कर दिया. अब किसी शहर में पीसीओ लगभग नहीं दिखता है. बहरहाल, मोबाइल फोन की वजह से ही वह दौर एक नए रूप में सामने आता दिख रहा है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिश को अगर टेलीकॉम विभाग ने हरी झंडी दे दी तो एक बार फिर हर गली-मुहल्लों, चौक-चौबारों और पान से लेकर किराना दुकानों में वाई-फाई कनेक्शन का बूथ दिखेगा. इन जानकारियों को उपलब्ध कराकर बुक कर सकते है रेल टिकट आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नयी व्यवस्था में ग्राहक जाएंगे और इस तरह के बूथ पर महज दो रुपये में पर्याप्त डाटा का उपयोग कर अपनी इंटरनेट संबंधी जरूरतें पूरी करेंगे. यह मामला तीन साल पुराना है, जब ट्राई ने पब्लिक डाटा ऑफिस एग्रीगेटर (पीडीओए) के माध्यम से पान व किराना की दुकान पर पेड वाई-फाई इंटरनेट कनेक्शन सुविधा देने की सिफारिश टेलीकॉम विभाग से की थी. लेकिन तीन साल तक इस पर कोई सुध नहीं ली गई. अचानक इस वर्ष मई में टेलीकॉम विभाग ने ट्राई से उनकी सिफारिशों पर कुछ और स्पष्टीकरण मांगा. गत 29 मई को ट्राई ने टेलीकॉम विभाग के सभी सवालों पर अपना स्पष्टीकरण भेज दिया. टेलीकॉम विभाग ट्राई के इस पब्लिक वाई-फाई के मॉडल से कमोबेश सहमत दिख रहा है. सरकार से बोले कोरोना वारियर्स- हमे इस्तेमाल किया हुआ टिश्यू पेपर न समझें अपने बयान में ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा कहते हैं, 'यह तो कह सकते हैं कि मामला बढ़ रहा है, तीन साल बाद टेलीकॉम विभाग ने जवाब मांगा. हमने तुरंत उनके सभी सवालों के जवाब दे दिए.' ट्राई ने हाल ही में टेलीकॉम विभाग को भेजे गए अपने जवाब में कहा है कि देश में एक करोड़ वाई-फाई हॉट-स्पॉट लगाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमलोगों को नए सिरे से उपभोक्ता के हिसाब से सोचना चाहिए. कम दाम में सोना खरीदने का मौका, जानें क्या है स्कीम रघुराम राजन का बड़ा बयान, कहा- रहत पैकेज का ऐलान कर बैठ नहीं सकती सरकार चीन के खिलाफ अभियान चालना AMUL को पड़ा भारी, ट्विटर ने ब्लॉक किया अकाउंट