संविधान की लड़ाई मध्यप्रदेश तक आई..! जानिए क्या है भाजपा-कांग्रेस का प्लान..!

भोपाल: बीजेपी और कांग्रेस के बीच संविधान और इसके निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर को लेकर राजनीति की जंग तेज हो गई है। मध्य प्रदेश में संविधान की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं। यह राजनीतिक घमासान अब मध्य प्रदेश में केंद्रित हो गया है, जहां अगले कुछ दिनों में दोनों दलों के प्रमुख नेता कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले हैं।

बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई वरिष्ठ नेता आगामी 20-21 जनवरी को जनसभाओं को संबोधित करेंगे। इन नेताओं के कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और मध्य प्रदेश के 7 संभागों में ‘संविधान गौरव दिवस’ के तहत कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बीजेपी ने 11 जनवरी को इस अभियान की शुरुआत की थी, और यह 25 जनवरी तक चलेगा। कांग्रेस पार्टी भी इस अवसर पर अपनी ताकत दिखाने के लिए मैदान में उतर रही है। पार्टी 27 जनवरी को इंदौर के पास महू में बाबा साहेब आंबेडकर की जन्मस्थली पर एक जनसभा आयोजित करेगी। इस जनसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई बड़े नेता शामिल होंगे। हाल ही में कांग्रेस के महासचिव जितेन्द्र सिंह ने कहा था कि कांग्रेस संविधान और लोगों के अधिकारों को बचाने के उद्देश्य से 'जय बापू-जय भीम-जय संविधान अभियान' की शुरुआत करेगी। 

कांग्रेस की छात्र इकाई, नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई), भी इस रैली में बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ने के लिए तैयारियाँ कर रही है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी इस कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर राज्य भर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बैठकें कीं और 27 जनवरी को महू पहुँचने की अपील की। बीजेपी और कांग्रेस के बीच यह टकराव राजनीतिक स्तर पर भी तेज हुआ है। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि पार्टी संविधान में बदलाव कर आरक्षण को समाप्त करने की योजना बना सकती है। विपक्ष ने बीजेपी के नेताओं, खासकर अमित शाह, पर आंबेडकर का अपमान करने का भी आरोप लगाया था।

महू, जो अब डॉ. आंबेडकर नगर के नाम से जाना जाता है, में आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। इसीलिए कांग्रेस ने अपनी रैली की शुरुआत उनकी जन्मस्थली से करने की योजना बनाई है, ताकि संविधान और आंबेडकर के योगदान को सम्मानित किया जा सके। मध्य प्रदेश में यह राजनीतिक संघर्ष आने वाले दिनों में और भी तीव्र हो सकता है, क्योंकि दोनों दलों के बीच आंबेडकर और संविधान पर अधिकार जताने की होड़ लग गई है।

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