सिखों के प्रथम गुरू थे श्री गुरूनानक देव

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख समुदाय के प्रथम धर्मगुरु नानक देव का जन्मोत्सव मनाया जाता हैं। सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म रायभोय स्थान पर 15 अप्रैल 1469 को हुआ था लेकिन श्रद्धालु गुरु नानक जी का जन्मोत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाते हैं।

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बता दें कि वर्ष 2018 में गुरु नानक जयंती 23 नवंबर को मनाई जाएगी। गुरु नानक जयंती को सिख समुदाय बेहद हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाता है। यह उनके लिए दिवाली जैसा ही पर्व होता है। इस दिन गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन किए जाते हैं। जगह-जगह लंगरों का आयोजन होता है और गुरुवाणी का पाठ किया जाता है। 

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वहीं बता दें कि गुरु नानक जी बचपन से ही आध्यात्मिक व ज्ञानशील थे। गुरु नानक जी के बचपन की किस्से आज भी बेहद प्रासंगिक हैं। गुरु जी का मन तो बेशक सांसारिक जीवन में नहीं था लेकिन उन्होंने बिना संन्यास धारण किए हुए आध्यात्म की राह को चुना। उनका मानना था कि मनुष्य को संन्यासी बन अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ने का कोई अधिकार नहीं है।

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गुरुनानक देव जी के सिद्धांत:   

गुरुनानक देव जी के सिद्धांत सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा आज भी प्रासंगिक है, जो इस प्रकार हैं:

1. ईश्वर एक है। 2. एक ही ईश्वर की उपासना करनी चाहिए। 3. ईश्वर, हर जगह व हर प्राणी में मौजूद है। 4. ईश्वर की शरण में आए भक्तों को किसी प्रकार का डर नहीं होता। 5. निष्ठा भाव से मेहनत कर प्रभु की उपासना करें। 6. किसी भी निर्दोष जीव या जन्तु को सताना नहीं चाहिए। 7. हमेशा खुश रहना चाहिए। 8. ईमानदारी व दृढ़ता से कमाई कर, आय का कुछ भाग जरूरतमंद को दान करना चाहिए। 9. सभी मनुष्य एक समान हैं, चाहे वे स्त्री हो या पुरुष। 10. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन आवश्यक है, लेकिन लोभी व लालची आचरण से बचें है।

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