बेहद खास है कार्तिक माह का पहला प्रदोष, बन रहा है ये खास संयोग

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत शिवभक्तों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जो प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इसे महादेव की विशेष कृपा प्राप्त करने का दिन माना गया है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक महादेव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, दुख और रोग दूर होते हैं तथा जीवन में सुख-शांति आती है। कार्तिक माह का पहला भौम प्रदोष व्रत धनतेरस के दिन आने की वजह से इस बार इसका विशेष महत्व है। इस दिन महादेव के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करने से भक्तों को धन-वैभव की प्राप्ति होती है तथा परिवार में सौभाग्य की वृद्धि होती है।

प्रदोष व्रत की पूजा का महत्त्व प्रदोष व्रत का महत्व शिवपुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में विशेष रूप से वर्णित है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही समस्याओं का समाधान होता है। इसे करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं, आर्थिक तंगी खत्म होती है, और स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी प्राप्त होते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं, उनके जीवन के कष्ट हर लेते हैं, और उन्हें सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाते हैं।

तिथि और शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर, मंगलवार को सुबह 10:31 बजे शुरू होगी और 30 अक्टूबर, बुधवार को दोपहर 1:15 बजे समाप्त होगी। प्रदोष काल में शिव पूजा का शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर 2024 को शाम 5:38 बजे से रात 8:13 बजे तक रहेगा। इस समय में भगवान शिव की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है, क्योंकि इस समय शिवजी अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि रखते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

प्रदोष व्रत के शुभ संयोग इस बार कार्तिक माह के भौम प्रदोष व्रत पर तीन शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इसे और भी विशेष बनाते हैं। भौम प्रदोष पर पुष्कर योग, इंद्र योग, और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं: पुष्कर योग: सुबह 6:31 बजे से सुबह 10:31 बजे तक रहेगा। इस समय में कोई भी शुभ कार्य करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है। इंद्र योग: सुबह 7:48 बजे तक रहेगा। यह योग दैवीय कृपा का संकेत है और शिव पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र: यह शाम 6:34 बजे तक रहेगा। यह नक्षत्र शुभता का प्रतीक है। इसके बाद हस्त नक्षत्र की रात्रि भर उपस्थिति भी शिव भक्ति को और प्रभावी बनाती है।

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