इंदौर/ब्यूरो। बेंगलुरु की ठेकेदार कंपनी निक महुआ द्वारा शराब ठेके की राशि जमा करने में की गई पांच करोड़ रुपये की हेराफेरी का पता चलने पर उसका ठेका तो निरस्त कर दिया, लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारी दो महीने तक इसे छिपाए रखे। यह सब ठेकेदार कंपनी से ठेके का बकाया राजस्व वसूलने के लिए किया गया। जब सफलता नहीं मिली, तब जाकर उसके खिलाफ एफआइआर कराई गई। ठेका कंपनी के भागीदार अनिल सिन्हा और मोहन कुमार ने आइसीआइसीआइ बैंक से एफडी बनवाई। इस मामले में प्रशासन को बैंक के किसी अधिकारी की मिलीभगत की भी आशंका है। बैंक की मिलीभगत के बिना एफडीआर की राशि में हेराफेरी नहीं की जा सकती थी। मामले में इंदौर के सहायक आयुक्त आबकारी राजनारायण सोनी का कहना है कि इंदौर जिले के सभी 64 समूह के ठेकेदारों की बैंक गारंटी का सत्यापन किया गया था। सत्यापन के दौरान ही निक महुआ कंपनी की एफडीआर में गड़बड़ी पकड़ में आई थी। जब गड़बड़ी पकड़ में आई तो जून में ही कंपनी का ठेका निरस्त कर दिया और दूसरे ठेकेदार को ठेका दे दिया था। गड़बड़ी करने वाले ठेकेदार से दो महीने के ठेके की राशि वसूल करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई थी। प्राथमिकता शासन का राजस्व वसूलना था, इसलिए समय लिया। इसके बाद एफआइआर दर्ज कराई। अधिकारियों का कहना है कि जब शराब के ठेके होते हैं तो बड़े जिलों पर अधिक दबाव रहता है। इस वर्ष पुराने ठेकेदार ठेका नहीं ले रहे थे, इसलिए कई नए ठेकेदार आए। समय पर ठेके देने के लिए और शासन को अधिक से अधिक राजस्व दिलाने के लिए हमने कई ठेकेदारों को बुलाया। टेंडर आनलाइन होते हैं। बाद में दो महीने तक सत्यापन चलता रहता है। जैसे ही निक महुआ की गड़बड़ी पकड़ में आई, हमने उसका ठेका तत्काल निरस्त कर दिया और वसूली की कार्रवाई भी शुरू कर दी। हमारी तरफ से कोई लापरवाही नहीं की गई। निक महुआ कंपनी का पता बेंगलुरु का है। ठेका कंपनी की धोखाधड़ी सामने आने के बाद आबकारी विभाग का दल जांच और राशि की वसूली के लिए कंपनी के पते पर बेंगलुरु भी पहुंचा। वहां जाने पर पता चला कि कंपनी के भागीदार अनिल सिन्हा की फाइनेंस कंपनी भी है। आबकारी अधिकारियों का कहना है कि कंपनी के डायरेक्टरों की संपत्ति का भी पता लगाया जा रहा है, ताकि उनकी संपत्ति कुर्क करके शासन के राजस्व की वसूली की जाए। यह भी पता लगाया जा रहा है कि आरोपित ठेकेदारों का मध्यप्रदेश और इंदौर में और कहां जुड़ाव है। करोड़ों के आबकारी घोटाले में पुलिस ने जांच तेज कर दी है। गुरुवार को पुलिस ने सहायक जिला आबकारी अधिकारी राजीव मुद्गल के कथन दर्ज किए। शुक्रवार को आइसीआइसीआइ बैंक को पत्र लिख कर डीडी और एफडी की ब्योरा मांगा है। रावजी बाजार टीआइ प्रीतमसिंह ठाकुर के मुताबिक घोटाला वर्ष 2022-23 के शराब ठेकों में हुआ है। आरोपित अनिल सिन्हा और मोहन कुमार ने एफडी में हेराफेरी की थी। पुलिस ने आबकारी विभाग को पत्र लिख कर उन अफसर व कर्मचारियों की जानकारी मांगी है, जिन पर दस्तावेज जांचने का जिम्मा था। शुक्रवार को आइसीआइसीआइ बैंक (मालवा परिसर) को पत्र लिखकर बैंक से एफडी और डीडी की जानकारी मांगी। दिल्ली में बड़ा हादसा, MP के पूर्व विधायक ने कार और स्कूटी को मारी टक्कर कर्ज में फंसा था पति तो करवा लिया पत्नी का 35 लाख का बीमा और फिर जो हुआ... लंपी वायरस संक्रमित गायों का दूध नहीं पीने की अपील, 11 जिले गंभीर रूप से प्रभावित