कट्टरपंथियों ने थाने में दलित युवक को पीट-पीटकर मार डाला, मस्जिद से भी हुआ ऐलान

ढाका: बांग्लादेश के खुलना शहर में एक बेहद चिंताजनक घटना सामने आई, जहाँ 15 वर्षीय दलित हिंदू लड़के, उत्सव मंडल को, एक उग्र भीड़ ने बेरहमी से पीटा। यह हमला इस आरोप के बाद हुआ कि उसने सोशल मीडिया पर पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। घटना खुलना के सोनाडांगा आवासीय क्षेत्र के पुलिस स्टेशन के भीतर घटी, जहाँ उत्सव को भीड़ ने पुलिस के सामने ही पीट-पीटकर घायल कर दिया। यह मामला बांग्लादेश में तेजी से बढ़ रहे इस्लामी कट्टरपंथ की एक बानगी है, जो भारत के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है।

 

घटना बुधवार रात हुई, जब स्थानीय मदरसे के छात्रों का एक समूह उत्सव को पुलिस स्टेशन ले आया, उस पर आरोप लगाया गया कि उसने फेसबुक पर पैगंबर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट की थी। देखते ही देखते बड़ी संख्या में मदरसे के छात्र और इमाम एसोसिएशन के सदस्य पुलिस स्टेशन के बाहर जमा हो गए और उत्सव को सख्त सजा की मांग करने लगे। जब पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिया कि कानून के अनुसार कार्यवाही की जाएगी, तब भी कट्टरपंथी भीड़ को इससे संतुष्टि नहीं मिली। स्थिति तब और खराब हो गई जब मस्जिद से झूठी घोषणा की गई कि उत्सव की हत्या कर दी गई है। यह सुनकर भीड़ कुछ समय के लिए शांत हो गई, लेकिन जब उन्हें सच्चाई पता चली कि उत्सव अभी भी जीवित है, तो उन्होंने पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया और उसे बुरी तरह पीट-पीटकर मार डाला।

 

इस पूरी घटना में बांग्लादेश में बढ़ती मजहबी कट्टरता और उग्रवाद का भयावह रूप उजागर होता है। इस्लामिक कट्टरपंथ का यह बढ़ता प्रभाव बांग्लादेश के समाज को न केवल विभाजित कर रहा है, बल्कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी भय और असुरक्षा के माहौल में जीने के लिए मजबूर कर रहा है। उत्सव मंडल का मामला इसी कट्टरपंथ का नतीजा है, जहाँ एक निर्दोष लड़के पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला गया है।

भारत के लिए यह स्थिति बेहद गंभीर है, क्योंकि बांग्लादेश में बढ़ रही धार्मिक कट्टरता की गूंज भारत के मुस्लिम बहुल इलाकों में भी सुनाई दे सकती है। भारत में भी कई बार इस्लामी कट्टरपंथ की घटनाएं सामने आई हैं, जहाँ दूसरे धर्मों के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है। कई इलाकों में धार्मिक असहिष्णुता के चलते हिंदू, सिख और अन्य समुदाय के लोगों को डर और तनाव में जीना पड़ता है। अगर बांग्लादेश जैसी कट्टरपंथी सोच भारत में भी जड़ें जमाने लगी, तो यह देश की सामाजिक समरसता और शांति के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। क्योंकि, दोनों देशों के लोगों में अधिक अंतर नहीं है, 70 साल पहले तक वो भारत का ही हिस्सा थे।  

 

इस्लामी कट्टरपंथ का बढ़ता प्रभाव केवल धार्मिक समुदायों के बीच दूरी बढ़ाने का काम नहीं कर रहा, बल्कि यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर कर रहा है। भारत को इस मामले में सतर्क रहना होगा, क्योंकि पड़ोसी देश में ऐसी घटनाओं का असर भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों पर भी पड़ सकता है। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि मजहबी कट्टरता का बढ़ना केवल एक देश या क्षेत्र का मसला नहीं, बल्कि इससे पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अशांति फैल सकती है। बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।

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