ईसाई बनने पर सरकार ने रद्द किया परिवार का SC प्रमाणपत्र, अब नहीं मिलेगा आरक्षण

गुंटूर: आंध्र प्रदेश के एसपीएस नेल्लोर जिले के गुडूर मंडल में अनुसूचित जाति (SC) माला समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण जीत मिली है। राज्य की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने टी. लक्ष्मण राव और उनके परिवार के एससी प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया है, क्योंकि उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था। इस फैसले का आधार ग्रामीणों की एक लंबी शिकायत प्रक्रिया रही, जिन्होंने धर्म परिवर्तन के बाद भी एससी विशेषाधिकारों का लाभ उठाने को लेकर सवाल उठाए थे।

गांव के लोग इस मुद्दे पर काफी समय से चिंतित थे, खासकर जब लक्ष्मण राव के परिवार ने अपने घर को एक अवैध चर्च में बदल दिया था। ग्रामीणों ने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक गतिविधियों से सामाजिक अशांति बढ़ रही थी, क्योंकि वहां से धर्मान्तरण की कोशिशें भी हो रहीं थीं। प्रारंभिक शिकायतें 2021 में दत्तम श्रीनिवासुलु और मोचेरला महेश द्वारा दर्ज कराई गईं, जिनका ध्यान अवैध चर्च और धर्मांतरण से जुड़ी गतिविधियों पर था। हालांकि, तहसीलदार और जिला कलेक्टर को कई बार शिकायतें देने के बावजूद, ग्रामीणों की अपील को पहले नज़रअंदाज़ कर दिया गया था। लेकिन उनकी लगातार कोशिशों से अंततः जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए। तहसीलदार द्वारा की गई जांच में ग्रामीणों के आरोपों की पुष्टि हुई, और दिसंबर 2023 में जिला स्तर की जांच समिति ने लक्ष्मण राव और उनके परिवार के एससी प्रमाणपत्रों को रद्द करने की सिफारिश की। समिति की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि ये लाभ केवल उन व्यक्तियों के लिए हैं जो वास्तव में एससी समुदाय से संबंधित हैं, और धर्म परिवर्तन के बाद उनका अधिकार समाप्त हो जाता है।

इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि सरकार ने सही कदम उठाया है। धर्म परिवर्तन करने के बाद भी एससी प्रमाणपत्र बनाए रखने का प्रयास उन वास्तविक लोगों के अधिकारों को कमजोर करता है, जो इस समुदाय से आते हैं और वंचित रह जाते हैं। इस मामले में ग्रामीणों की सामूहिक कार्रवाई और कानूनी वकालत करने वाले समूहों की भूमिका महत्वपूर्ण रही, जिसने सामाजिक न्याय को बनाए रखने की लड़ाई में मदद की।

एससी/एसटी राइट्स फोरम के अध्यक्ष एमके नागराजू ने यह भी चेतावनी दी कि गलत तरीके से प्रमाणपत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी परिपत्र का हवाला दिया, जिसमें ऐसे अधिकारियों के लिए दंड और कारावास का प्रावधान है, जो अयोग्य व्यक्तियों को एससी प्रमाणपत्र जारी करते हैं।

यह फैसला इस बात को भी उजागर करता है कि धर्म परिवर्तन के बावजूद जाति आधारित लाभ लेने की प्रवृत्ति से निपटने के लिए सख्त जांच और कार्रवाई जरूरी है। धर्मांतरण रैकेट और गलत लाभ उठाने की घटनाएँ बताती हैं कि ऐसे मामलों में और अधिक सतर्कता और कानूनी कदम उठाने की जरूरत है। इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने सही कदम उठाया है, जिससे वास्तविक हकदारों को उनका अधिकार मिल सकेगा और गलत तरीके से लाभ उठाने वालों पर लगाम लगाई जा सकेगी।

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