दिल्ली तक पहुंची मणिपुर हिंसा की आंच! मणिपुरी महिला पर 8-10 लोगों ने झुंड बनाकर किया हमला, Video आया सामने

नई दिल्ली: दक्षिणपूर्वी दिल्ली की सनलाइट कॉलोनी में रात के समय सड़क पर आठ-नौ लोगों के एक समूह ने मणिपुर के दो पुरुषों और दो महिलाओं पर हमला कर दिया। गुरुवार को हुई यह घटना सड़क के पार एक बालकनी से मोबाइल में कैद हो गई। वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया है। सनलाइट कॉलोनी के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कई अज्ञात आरोपियों के खिलाफ शुक्रवार रात को पहली सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई। आरोपों में यौन उत्पीड़न भी शामिल है।

शिकायतकर्ता ने शुक्रवार देर रात FIR दर्ज करने के बाद सनलाइट कॉलोनी पुलिस स्टेशन के बाहर संवाददाताओं से कहा कि दो आरोपियों के चेहरे CCTV फुटेज में साफ नजर आ रहे हैं। मोबाइल फुटेज में चार लोगों - एक आदमी, उसकी पत्नी, उसकी बहन और एक पारिवारिक मित्र - को एक समूह द्वारा संकीर्ण सड़क पर मुक्का मारते, लातें मारते और घसीटते हुए दिखाया गया है। पीड़ित में से एक आदमी ने कहा कि, "मैं, मेरी पत्नी और मेरी बहन रात 11 बजे खाना खाने के बाद एक दोस्त को घर छोड़ रहे थे, तभी दो पुरुष और एक महिला हमारे पास आए और कहा कि उनके मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई है और उन्हें मुनिरका (दक्षिणी दिल्ली में) के लिए कैब बुक करने में मदद चाहिए।" पीड़ित आदमी की आंख मारपीट से काली हो गई थी और गाल सूजे हुए थे।

उन्होंने आगे बताया कि, "हम मदद करने के लिए सहमत हुए। कैब बुक करते समय, मदद मांगने वाले व्यक्ति ने मेरी पत्नी और बहन के खिलाफ भद्दे कमेंट्स करना शुरू कर दिया। जब हमने उनके व्यवहार पर आपत्ति जताई, तो वे आक्रामक हो गए, अपने आठ-नौ दोस्तों को बुलाया और हमें पीटना शुरू कर दिया।“ पीड़ित ने कहा कि, उसने FIR में विवरण दिया है, जिसकी मोबाइल वीडियो और सीसीटीवी फुटेज से पुष्टि की गई है।

उनकी पत्नी ने आरोप लगाया कि समूह ने उनके बाल खींचे, उन्हें जमीन पर लात मारी और उन्हें खींचने की कोशिश की। महिला ने अपने घुटनों पर चोट के निशान दिखाते हुए कहा कि, "मुझे लगा कि मैं मरने जा रही हूं, हर कोई मरने वाला था क्योंकि उन्होंने हमें पीटना बंद नहीं किया, किसी ने उन्हें रोका भी नहीं।" उन्होंने कहा कि, "हम पैदल जा रहे थे जब उन्होंने कैब बुक करने के लिए मदद मांगी और उन्होंने हमारे साथ यही किया।' एक बयान में, पुलिस ने कहा कि वे उस व्यक्ति को अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने घुटनों पर खरोंच, आंखों में लाली और सूजन और माथे पर सूजन बताई, जो गंभीर हमले का संकेत देता है।

 

पुलिस ने कहा कि वे उन सभी को पकड़ने के लिए काम कर रहे हैं और इसकी शुरुआत CCTV फुटेज में दिख रहे दो लोगों से की जाएगी। कुछ रिपोर्ट्स में पीड़ित परिवार मैतई समुदाय से बताया जा रहा है, जबकि हमला करने वालों को कुकी समुदाय का बताया जा रहा है। हालाँकि, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। बता दें कि, मणिपुर में काफी समय से मैतई और कुकी समुदाय में संघर्ष चल रहा है, जिसके कारण पूर्वोत्तर राज्य में तनाव व्याप्त हो गया है। 

क्या है मणिपुर में हिंसा का मूल कारण ?

बता दें कि, मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जो कि पूरे मणिपुर का लगभग 10 फीसद क्षेत्र है। वहीं,  जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, की आबादी 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं। मणिपुर का 90 फीसद हिस्सा पहाड़ी है, जिसमे केवल कुकी-नागा जैसे आदिवासियों (ST) को ही रहने और संपत्ति खरीदने की अनुमति है, ऐसे में मेइती समुदाय के लोग महज 10 फीसद इलाके में रहने को मजबूर हैं। उन्होंने ST का दर्जा माँगा था, जिसे हाई कोर्ट ने मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन इससे कुकी समुदाय भड़क उठा और विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। यही हिंसा की जड़ रही। 

 

बताया जाता है कि, कुकी समुदाय के अधिकतर लोग धर्मान्तरित होकर ईसाई बन चुके हैं और वे घाटी पर अफीम की खेती करते हैं, इसलिए वे घाटी में अपना एकाधिकार रखना चाहते हैं और किसी को आने नहीं देना चाहते। विदेशी फंडिंग और मिशनरियों के इशारे पर चलने वाले अधिकतर NGO इन्ही कुकी-नागा लोगों को भड़का रहे हैं। इन कुकी समुदाय को खालिस्तानियों का भी साथ मिल रहा है, कुकी समुदाय का एक नेता कनाडा जाकर खालिस्तानी आतंकियों से मिल भी चुका है, जहाँ से उन्हें फंडिंग और हथियार मिले थे। वहीं, म्यांमार और चीन भी कुकी लोगों को मेइती से लड़ने के लिए हथियार दे रहे हैं।

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