नई दिल्ली: बीते कुछ दिनों से एक शब्द सर्वाधिक सुर्ख़ियों में रहा है – ‘सेंगोल’ (Sengol)। चोल राजवंश के इस प्रतीक को राजदंड के तौर पर देखा जाता है, जो शासक को न्याय और धर्म का स्मरण कराता रहता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में यह राजदंड स्थापित किया है। इस दौरान तमिल पुरोहितों का समूह, जिन्हें ‘अधीनम’ कहा जाता है, वो भी उपस्थित रहे और उनकी ही निगरानी में विधि-विधान के साथ पूरा का पूरा कार्यक्रम संपन्न हुआ है। दरअसल, कुछ दिनों पहले मीडिया संस्थान ‘The Hindu’ ने अपनी एक खबर में दावा करते हुए कहा था कि ब्रिटिश इंडिया के अंतिम गवर्नर जनरल माउंटबेटन की ‘सेंगोल’ के साथ कोई फोटो ही नहीं है, आज़ादी के वक़्त सत्ता हस्तांतरण के दौरान माउंटबेटन को ‘सेंगोल’ नहीं दिया गया था। अब संगोल देने वाले ‘अधीनम’ मठ ने खुद The Hindu की इस खबर की निंदा की है। थिरुवावादुथुरई के ‘अधीनम’ के गुरु महासन्निधानम् ने ‘The Hindu’ की खबर को शरारतपूर्ण तथा तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर परोसने वाला करार दिया है। बता दें कि, ‘The Hindu’ ने अपनी खबर में ‘अधीनम’ के महंत के हवाले से ही दावा करते हुए लिखा था कि माउंटबेटन को कभी ‘सेंगोल’ दिया ही नहीं गया था (पीएम नेहरू को देने के लिए)। महंत के हवाले से उस खबर में लिखा था कि इस कार्यक्रम के बारे में कोई स्पष्ट सूचना नहीं है। थिरुवावादुथुरई अधीनम के 24वें महंत अम्बालवान देसिका परमाचार्य स्वमिगल के हवाले से The Hindu ने यह खबर छापी थी। इसमें कहा गया था कि ‘सेंगोल’ सीधे नेहरू को ही दिया गया। अब ‘अधीनम’ ने ‘द हिन्दू’ पर गलत तथ्य प्रकाशित करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि 9 जून को छपी इस खबर में महंत के बयान को गलत सन्दर्भ में पेश किया गया। साथ ही पूजा संपन्न होने के बाद ‘अधीनम’ के साथ ‘द हिन्दू’ के पत्रकार के अशिष्टता से पेश आने की बात भी कही गई है। अब ‘अधीनम’ ने 1947 के सत्ता हस्तांतरण में ‘सेंगोल’ के योगदान पर गौरव जाहिर किया है। साथ ही कहा है कि 1947 में ‘अधीनम’ का एक समूह आमंत्रण के बाद दिल्ली पहुंचा था, वहाँ माउंटबेटन को ‘सेंगोल’ प्रदान किया गया, फिर उसका गंगाजल से अभिषेक हुआ, फिर उसे पवित्र करने के बाद पीएम नेहरू को दिया गया। ‘अधीनम’ के अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि, 'जब ‘द हिन्दू’ ने सवाल किया है कि ‘सेंगोल’ माउंटबेटन को दिया गया था या नहीं, हमने जवाब दिया कि इसे पंडित नेहरू को प्रदान किया गया था। ये तो सही बात है। तब के महंत के सेक्रेटरी रहे मसीलमणि पिल्लई ने इस बारे में स्पष्ट उल्लेख किया है और आज भी वो 96 वर्ष के हैं। उन्होंने लिखा है कि आज़ाद भारत के प्रथम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और मद्रास के कलक्टर के कहने पर किया गया था। आज पीएम नरेंद्र मोदी ने तमिल संस्कृति को सम्मान दिया है।' लालू यादव: चपरासी क्वार्टर से मुख्यमंत्री और चारा घोटाले से लेकर लैंड फॉर जॉब केस तक, दिलचस्प रहा है सफर 'लड़की चीज ही ऐसी होती है..', 100+ लड़कियों के रेप पर अजमेर दरगाह के खादिम सरवर चिश्ती का विवादित बयान, Video 'चाहे पीएम मोदी हों या अमित शाह..', सीएम गहलोत बोले- राजस्थान में कांग्रेस ही जीतेगी