अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से एक अनोखी घटना सामने आई है। एक व्यक्ति की कोरोना काल में नौकरी चली गई थी, इसके बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी तथा वह अपने परिवार का पेट भरने के लिए कबाड़ जमा करने लगा। उसने उस कबाड़ से बोरवेल मशीन बना डाली, जो अन्य बोरवेल मशीन से बहुत हटकर है। इस व्यक्ति का नाम चंदन है। कम खर्च में बनी यह मशीन 40-50 फीट तक सरलता से खुदाई कर देती है। सामान्य रूप से बोरवेल मशीन से खुदाई में 70-80 हजार रुपये का खर्च आता है, किन्तु जुगाड़ से बनाई गई इस मशीन से 35 से 40 हजार रुपये में काम हो जाता है तथा पानी भी पूरा आता है। चंदन का कहना है कि जिस स्थान पर पानी का स्तर ठीक है, वहां यह मशीन पूरी तरह से कारगर है। चंदन का कहना है कि वह एक टेंट हाउस में 30 सालों से काम कर रहे थे, किन्तु कोरोना संकट में उनकी नौकरी चली गई। फिर उन्होंने बोरिंग मशीन को लेकर कुछ इनोवेशन करने का मन बनाया तथा कबाड़ से बोरवेल मशीन तैयार कर दी। अब वह आराम से 4 से 5 घंटे सरलता से गन्ने के खेतों में पानी डाल लेते हैं। गांव में बोरवेल से कहीं काम प्राप्त होता है तो वह अपनी इस मशीन का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि पूरा खर्च निकालने के बाद वो 15 हजार रुपये महीना आराम से कमा लेते हैं। मशीन की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह बहुत छोटी है। संकरी गलियों में इसे ले जाने में परेशानी नहीं होती। अब इस मशीन की हर ओर चर्चा हो रही है। तिरंगा यात्रा में बिना हेलमेट पहने चलाई बाइक, भाजपा सांसद मनोज तिवारी को मांगनी पड़ी माफ़ी कांग्रेस ने देश का बंटवारा किया, गांधी परिवार से बड़ा 'देशद्रोही' कौन ? हैदराबाद में नगर निगम ने 'मस्जिद' को किया जमींदोज़, मुस्लिमों में आक्रोश.. विरोध प्रदर्शन शुरू