कन्हैया की रिहाई पर उसके गाँव और जेएनयू में रहा दिवाली और होली जैसा माहौल

नई दिल्ली: शायद ये हमारे देश का दुर्भाग्य ही हैं की एक लड़का देश विरोधी नारे लगाता हैं तो भी कोर्ट उसे रिहा कर देता हैं किस लिए उसे फिर से वैसी ही हरकत करने के लिए. जमानत पर रिहा हुए कन्हैया के तेवर तो कुछ ऐसा ही बयांन कर रहे हैं. देशद्रोह के मामलें में कन्हैया को जमानत मिलते ही वो सर्वप्रथम जेएनयू  केम्पस पहुंचा और छात्रों को सम्बोधित किया.

केम्पस में जो उसनें भाषण दिया उसमे भी उसनें सरकार और पीएम को ही निशाना बनाता रहा हैं. और उसके आस-पास इस कदर भीड़ एकत्र थी जैसे वो कोई जंग जीतकर आया हो जेएनयू केम्पस तथा कन्हैया के गाँव में उसके रिहा होनें पर होली और दिवाली से पहले ही होली और दिवाली मनाई गई. और उसके भाषण को अन्य लोगो को तो छोडिये हमारे देश के नेता तक एन्जॉय कर रहे थे.

उसके भाषण के खत्म होने के बाद केजरीवाल नें ट्विट करके उसके भाषण की तारीफ की तथा उसके भाषण को शानदार बताया एक और इसके साथ ही कुमार विश्वास ने भी ट्वीट कर लिखा- साहब, ये छोटा रिचार्ज नेटवर्क न उड़ा दे? मतलब कन्हैया की तरह इन्हें भी देश के सिस्टम से परेशानी हैं. ये क्या यही बताना चाह रहे हैं.

कन्हैया के जाते ही केम्पस में लाल-सलाम के नारे लगे. कन्हैया नें कहा की मोदी जी मन की बात करते है मगर समझते नही हैं. मतलब कन्हैया के अनुसार देश के पीएम को इनकी सारी बाते माननी चाहिए थी. कन्हैया नें कहा की इसे देश के संविधान पर भरोसा हैं तो फिर इतना उतावला क्यों हो गया ये की देश विरोधी नारे ही लगा डाले. और यदि ये गलत नही थे तो कन्हैया का साथी खालिद इतने दिनों तक क्यों छुपा रहा और सबसे बड़ी गलती तो जेएनयू केम्पस की हैं उसने देशविरोधी कोई भी कार्यक्रम करने की इजाजत दी कैसे दी. अब आप खुद फैसला करिए की आप कन्हैया को एक हीरो की तरह याद रखना चाहते हैं या फिर उसे देशद्रोही की तरह.

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