कृषि क्षेत्र में पैदावार बढ़ोतरी के लिए दीर्घकालिक रणनीति

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्र के मुताबिक बीमारियों से लड़ने और उच्च उत्पादकता देने वाली फसलों की प्रजातियां विकसित कर पैदावार, उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने की दीर्घकालिक रणनीति तैयार की है। राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (नेशनल एग्रीकल्चर रिसर्च सिस्टम-एनएआरएस) ने इस सिलसिले में पिछले पांच साल (2009-10 से 2013-14) के दौरान अलग-अलग खाद्य फसलों की 371 प्रजातियां और संकर किस्में विकसित की हैं जो ज्यादा पैदावार देती हैं।

फसलों की पैदावार, उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाने के कार्यक्रम (बीजीआरईआई) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत काम हो रहा है। इन कार्यक्रमों के जरिये फसलों की उत्पादकता बढ़ाने की तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। 12वीं कृषि विज्ञान कांग्रेस में वसा और सॉलिड नॉट फैट (एसएनएफ) तत्व के संदर्भ में दूध का शुद्धता मानक दुबारा तय करने, मौजूदा तकनीकी व्यवहार और प्रोटोकॉल में नई चीजों को शामिल करने, दूध और दूध उत्पादों को ज्यादा देर तक ताजा बनाये रखने और छोटे पैमाने पर मछली का उत्पादन करने वालों के लिए कम लागत वाली पैकेजिंग तकनीक लाने के मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।

कृषि राज्य मंत्री मोहन भाई कुंदरिया के मुताबिक इस कांग्रेस के दौरान की गई विस्तृत सिफारिशों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और जल्द ही इन्हें सरकार की नीतियां लागू करने वाली एजेंसियों को भेज दिया जाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 2011 में जलवायु के संदर्भ में लचीली कृषि यानी नेशनल इनिशिएटिव ऑन क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर (एनआईसीआरए) पर एक नेटवर्क परियोजना शुरू की है। इसके तहत रणनीतिक शोध, तकनीकी प्रदर्शन, क्षमता निर्माण और प्रायोजित/प्रतिस्पर्धी अनुदान परियोजनाओं के जरिए जलवायु के संदर्भ में भारतीय कृषि के लचीलेपन को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया।

मवेशियों, फसलों, मछली पालन और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में इसके तहत होने वाले शोधों को आजमाया जा रहा है। सरकार ने 2014-15 से टिकाऊ कृषि के राष्ट्रीय मिशन (नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर-एनएमएसए) को लागू कर रखा है। इसका लक्ष्य कृषि को ज्यादा उत्पादक, टिकाऊ, आर्थिक रूप से ज्यादा फायदेमंद और जलवायु के संदर्भ में लचीला बनाता है। इसके तहत स्थान आधारित समेकित/समग्र कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने, मिट्टी और नमी संरक्षण के तरीके अपनाने, समग्र मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन, प्रभावी जल प्रबंधन के तरीके आजमाने और वर्षा आधारित तकनीक को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

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