लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक दलित महिला के साथ बलात्कार और ब्लैकमेलिंग का मामला सामने आया है, जिसमें दो आरोपियों का नाम सामने आया है। इनमें से एक मौलाना नूर अहमद अज़हरी, जो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का पदाधिकारी है, और दूसरा व्यक्ति फिरदौस है। आरोप है कि फिरदौस ने खुद को हृदेश के नाम से दलित महिला के सामने प्रस्तुत किया और विश्वास में लेकर कई बार उसके साथ बलात्कार किया। जब पीड़िता बीमार हो गई, तो फिरदौस ने उसे मौलाना से मिलवाया, जो झाड़-फूंक के बहाने उसके साथ बलात्कार करता रहा। फिरदौस ने इस दौरान पीड़िता की अश्लील वीडियो बना ली और ब्लैकमेल करते हुए लगातार उसका शोषण करता रहा। महिला जाटव समुदाय से है, जिनका पति दिल्ली में रहकर मजदूरी करता है। आरोपी फिरदौस उसके जेठ के साथ पहली बार घर आया था, बाद में उसने पीड़िता को अपनी पहचान हृदयेश बताते हुए बातचीत बढ़ाई और मौक़ा पाकर उसका रेप कर दिया। आखिरकार, जब पीड़िता ने इस शोषण का विरोध किया, तो फिरदौस ने उसे जान से मारने की धमकी दी और अपने मुस्लिम होने का खुलासा किया। किसी तरह पीड़िता फिरदौस के चंगुल से बचकर पुलिस स्टेशन पहुंची और नूर मोहम्मद अज़हरी और फिरदौस के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने बलात्कार की संबंधित धाराओं और SC/ST एक्ट में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और आरोपियों की तलाश जारी है। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये है कि जिस मौलाना नूर अहमद अज़हरी पर दलित महिला से बलात्कार करने का आरोप लगा है, दलितों का संगठन होने का दावा करने वाली भीम आर्मी उसी मौलाना की समर्थक हैं। बीते दिनों जब एक चंगेज खान नाम के आरोपी ने OBC महिला के साथ घर में घुसकर यौन शोषण किया था और फिर एक दलित महिला के साथ छेड़छाड़ कर रहा था, तभी भीड़ ने उसे पीटा दिया। तब मौलाना अजहरी ने चंगेज़ खान के समर्थन में भीड़ जुटाकर थाने का घेराव किया था, उस समय भीम आर्मी भी मौलाना के साथ ही चंगेज़ खान का पक्ष ले रही थी। भीम आर्मी, दलित महिला को छेड़ने वाले चंगेज़ खान की पिटाई को मॉब लिंचिंग बताते हुए दलित महिला को बचाने वालों पर ही कार्रवाई की मांग कर रही थी। इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि दलितों के नाम पर राजनीति करने वाले संगठन, जैसे भीम आर्मी, इस मामले में पीड़िता की मदद क्यों नहीं कर रहे हैं? इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसमें मोहम्मद आलम ने भीम आर्मी के कार्यकर्ता सुमित कुमार की साली पूजा का यौन शोषण करके उसकी हत्या कर दी थी। उस समय सुमित कुमार ने संगठन से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया गया कि संगठन मुस्लिम वोटों को नहीं खोना चाहता। इस घटना के बाद भीम आर्मी और उसके प्रमुख चंद्रशेखर रावण की काफी आलोचना हुई थी, जो दलितों के वोटों पर संसद तक पहुंचे, लेकिन अब कट्टरपंथियों के हाथों की कठपुतली बनकर अपने ही समुदाय के साथ धोखा कर रहे हैं। इस घटनाक्रम के बाद सवाल यह है कि क्या ऐसे संगठन केवल सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने के लिए दलितों का उपयोग कर रहे हैं? जब एक दलित महिला को मदद की ज़रूरत है, तब ये संगठन कहां गायब हो जाते हैं? कट्टरपंथियों के खिलाफ बोलने का दावा करने वाले ये संगठन क्या अब उनके पक्ष में खड़े होकर दलित समुदाय के साथ अन्याय नहीं कर रहे हैं? इस मामले में चुप्पी साधने वाले विपक्षी नेताओं की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, जो केवल राजनीतिक लाभ के लिए दलितों के मुद्दों का इस्तेमाल करते हैं। सामूहिक बलात्कार, धर्मांतरण और वीडियो कॉल पर नमाज़, नाबालिग पीड़िता ने कोर्ट में दिया बयान 11 वर्षीय बच्ची का मौलाना रियाज़ शेख ने कई बार किया बलात्कार, अब हुआ गिरफ्तार अयोध्या में दलित नाबालिग से बलात्कार, पुलिस ने आरोपी सपा कार्यकर्ता शाहबान को मारी गोली