पेरिस: फ्रांस में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ, जहां प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर की सरकार को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से हटा दिया गया। यह प्रस्ताव बुधवार, 4 दिसंबर 2024 को संसद में पेश किया गया था, और कुल 331 सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान किया। सरकार को गिराने के लिए सिर्फ 288 वोटों की जरूरत थी, लेकिन विरोधी ताकतों ने इस आंकड़े को पार कर लिया, जिससे बार्नियर की अल्पमत सरकार गिर गई। इस तरह की घटना फ्रांस में पिछले 60 वर्षों में पहली बार देखने को मिली है, जब किसी सरकार को इस तरह संसद से हटा दिया गया हो। बार्नियर की सरकार केवल तीन महीने ही टिक पाई। इस राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत जुलाई 2024 के आम चुनावों से हुई थी, जब किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इसके बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सितंबर 2024 में मिशेल बार्नियर के नेतृत्व में एक अल्पमत सरकार का गठन किया। हालांकि, सरकार बनने के बाद बार्नियर ने जो नीतियां पेश कीं, खासतौर पर टैक्स बढ़ाने का उनका निर्णय, वह अन्य दलों को रास नहीं आया। टैक्स वृद्धि के मुद्दे पर वामपंथी और दक्षिणपंथी दल, जो आमतौर पर एक-दूसरे के खिलाफ रहते हैं, इस बार सरकार के विरोध में एकजुट हो गए। सरकार की नीतियों को लेकर बढ़ती असहमति के बीच विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जो बार्नियर के लिए घातक साबित हुआ। यह घटना फ्रांस के राजनीतिक परिदृश्य में अस्थिरता और गहरे मतभेद को उजागर करती है। अब, नए प्रधानमंत्री और संभावित चुनाव की दिशा में देश के राजनीतिक भविष्य पर चर्चा तेज हो गई है। हेलो, मैं इंदिरा गांधी, 60 लाख रूपए दे दो..! SBI में आया फोन और फिर.. डांस करते रहे बाराती, तभी हो गया ऐसा कांड, कैमरे में रिकॉर्ड हुई वारदात 'अब कभी मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे…', एकनाथ शिंदे पर संजय राउत का तंज