जिस तरह से अन्य स्त्रोतों का पाठ करने से फायदा मिलता है उसी तरह से भगवान परशुराम स्त्रोत करने से भी सफलता प्राप्त होती है। यह चमत्कारी है तथा विशेषकर ब्राह्मणों को इस स्त्रोत का पाठ तो अवश्य ही करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि भगवान परशुराम ब्राह्मणों के आराध्य है तथा इनकी जन्म स्थली मध्यप्रदेश के महू के पास स्थित जानापाव में है और यहां विशेष अवसरों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। कराभ्यां परशुं चापं दधानं रेणुकात्मजम् । जामदग्न्यं भजे रामं भार्गवं क्षत्रियान्तकम् ॥ १ ॥ नमामि भार्गवं रामं रेणुकाचित्तनंदन । मोचिताम्बार्तिमुत्पातनाशनं क्षत्रनाशनं ॥ २ ॥ भयार्तस्वजनत्राणतत्परं धर्मतत्परम् । गतवर्गप्रियं शूरं जमदग्निसुतं मतम् ॥ ३ ॥ वशीकृतमहादेवं दृप्तभूपकुलान्तकम् । तेजस्विनं कार्तवीर्यनाशनं भवनाशनम् ॥ ४ ॥ परशु दक्षिणे हस्ते वामे च दधतं धनुः । रम्यं भृगुकुलोत्तंसं घनश्यामं मनोहरम् ॥ ५ ॥ शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञामंडितं रणपण्डितं । रामं श्रीदत्तकरुणाभाजनं विप्ररंजनं ॥ ६ ॥ मार्गणाशोषिताब्घ्यंशं पावनं चिरजीवनं । य एतानि जपेद्रामनामानि स कृती भवेत ॥ ७ ॥ ॥ इति श्री प. प. वासुदेवानंदसरस्वतीविरचितं श्रीपरशुरामस्तोत्रं संपूर्णम् ॥ मंत्रों से करें सूर्यदेव की आराधना तो मिले सफलता