जब भी कोई पालीटिकल पार्टी अपनी पार्टी के हित से बढ़कर किसी एक परिवार के हित का ख्याल रखेगी, तब उसका हाल भी कांग्रेस की तरह ही होगा. लगता है कि नेहरू-गांधी फैमिली कांग्रेस पार्टी से बहुत बड़ी हो चुकी है. इसी वजह से पूर्व में शरद पवार, ममता बनर्जी, जगनमोहन रेड्डी और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे जनाधार वाले नेताओं को कांग्रेस पार्टी छोड़नी पड़ी. और अब सचिन पायलट भी उसी मार्ग पर पुनह निकल पड़े है. इसी महीने रिलीज होगा दिलजीत दोसांझ का एल्बम 'GOAT’ विदित हो कि कांग्रेस की इस दुर्दशा के लिए पार्टी का आलाकमान ही जिम्मेदार है. एक वक्त में कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व पूरे भारत में था. किन्तु आज कुछ प्रदेश में सिमट कर रह गई है. अगर जीवित रहना है तो कांग्रेस को इतिहास से सीखना होगा. जब भी कोई भी पार्टी समाज का हिस्सा नहीं रह गई है. समाज में हो रहे परिवर्तन के अनुसार अगर कोई स्वयं में बदलाव नहीं लाती तो वह खत्म हो जाता है. पूर्व में सोशलिस्ट पार्टी, स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी, जैसी पार्टीयों का भी ऐसा ही हाल हुआ था. कोरोना के कारण स्थगित हुआ MP विधानसभा का मानसून सत्र, सर्वदलीय बैठक में फैसला आज ये सभी पार्टियां खत्म हो चुकी हैं. चौथे लोकसभा चुनाव में स्वत्रंत पार्टी को 44 सीटें हासिल हुई थी. आज इस पार्टी का नाम लेने वाला कोई नहीं है. छठे लोस चुनाव में जनता पार्टी को 295 सीटें मिली थीं. उसकी गवर्नमेंट भी बनी थी, पर कुछ ही साल बाद वह खत्म हो गई. नौवीं लोस चुनाव में जनता दल को 142 सीटें मिली थीं. उसकी गवर्नमेंट भी बनी थी, किन्तु आज यह पार्टी भी समाप्त हो गई है. 1984 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को दो सीटें मिली थीं, किन्तु जनता से जुड़ाव का ही नतीजा है कि 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टीं को 303 सीटें मिलीं. सांसदों के साथ बैठक में बोले केजरीवाल- कोरोना से जंग जारी, ना रुकना है, ना थकना है ... फैंस के दिलों पर छा रहा है अखिल का नया गाना 'दीवाना' मंगल पांडे ने ही छेड़ी थी अंग्रेजों के ख़िलाफ़ जंग, जल्लाद ने फांसी देने से कर दिया था इंकार