ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के जीवन से जुड़ी बहुत सी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त होती है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने भूत, वर्तमान व भविष्य के विषय में जान सकता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में कई प्रकार के योग बनते है इन्ही में से एक योग होता है कालसर्प योग जिसे सामान्तः अशुभ योग कहा जाता है. जिस भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग होता है वह व्यक्ति इसके प्रभाव से कई प्रकार की परेशानियों से घिर जाता है इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर उसकी आयु के 35 वर्ष के बाद देखने को मिलता है आइये जानते है कालसर्प योग कैसे बनता है. तथा किस प्रकार से यह व्यक्ति को प्रभावित करता है? काल सर्प योग का बनना – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल नौ प्रकार के ग्रह होते है जिसमे राहु व केतु को अशुभ ग्रह माना जाता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली के सम्पूर्ण सातों गृह राहु व केतु के मध्य एक कतार में आ जाते है तो इसे ही काल सर्प योग कहा जाता है. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है तो वह कई प्रकार की समस्याओं से घिर जाता है. कालसर्प योग व्यक्ति के जीवन पर शुभ व अशुभ प्रभाव डालता है. अशुभ प्रभाव - काल सर्प योग का प्रभाव अधिकतर व्यक्ति की 35 वर्ष की आयु में देखने को मिलता है इस योग के कारण व्यक्ति के जीवन में एकाएक बदलाव आ जाता है जिससे उसके कार्यो में लगातार हानि होने लगती है जिसकी वजह से उसके जीवन की सभी धन सम्पदा समाप्त हो जाती है और वह गरीब हो जाता है. शुभ प्रभाव – कई व्यक्ति ऐसे होते है जिनकी कुंडली में कालसर्प योग शुभ प्रभाव भी देता है यदि व्यक्ति पर राहु व केतु की कृपा हो जाती है तो वह व्यक्ति सफलता के शिखर पर पहुँच जाता है उसके जीवन में धन वैभव की कोई कमी नहीं होती है. यही वो आदत है जो जीवन को करती है प्रभावित चन्दन का ऐसा इस्तेमाल परेशानियों से दिलाएगा मुक्ति सरकारी नौकरी पाने के लिए अभी करें ये अचूक उपाय बहुत ही कम लोग मौली के इस महत्व के बारे में जानते है