भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है यहाँ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में उपचार के लिए पहुंची 22 वर्षीय महिला की रीढ़ की हड्डी अंग्रेजी के अक्षर 'C' की भांति मुड़ी हुई थी। इसके चलते महिला के हाथ पैरों ने काम करना बंद कर दिया था। किन्तु एम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सूझबूझ से जांचों के बाद मरीज का सफल ऑपरेशन किया गया तथा अब उसे डिस्चार्ज करने की तैयारी है। राजगढ़ जिले की रहने वाली 22 वर्षीय महिला की सबसे लंबे इंट्रामेडुलरी स्पाइनल ट्यूमर की सर्जरी एम्स भोपाल के न्यूरोसर्जरी विभाग में की गई। महिला अपने चारों अंगों में कमजोरी के साथ न्यूरोसर्जरी ओपीडी में आई थी तथा उसे पूरी जांच के लिए एडमिट कर लिया गया। रेडियोलॉजी विभाग में पूरी रीढ़ की हड्डी का एम.आर.आई किया गया। टेस्ट में एक इंट्रामेडुलरी ट्यूमर दिखा जो सर्विकोमेडुलरी जंक्शन से डी11 वर्टिब्रा तक फैला हुआ था। यह ज्यादा चुनौतीपूर्ण था क्योंकि मरीज को स्कोलियोसिस था। प्रोफेसर अमित अग्रवाल एवं विभाग के सभी एक्सपर्ट्स के साथ एक आयोजित की गई तथा यह फैसला लिया गया कि इसे जल्द से जल्द संचालित किया जाए क्योंकि देरी करने पर मरीज की जिंदगी को खतरा हो सकता है। मरीज की सर्वाइकल से डी12 वर्टिब्रा तक लैमिनोटॉमी की गई। ट्यूमर को पूर्ण रूप से काट दिया गया तथा 15 घंटे तक चले ऑपरेशन में मामला समाप्त हो गया। यह ट्यूमर लगभग 40 सेंटीमीटर तक लंबा था। ट्यूमर हटाने के पश्चात् स्पाइन लैमिनोटॉमी को मिनी प्लेट एवं स्क्रू से ठीक किया गया। इस प्रक्रिया को अंजाम देने में एनेस्थीसिया टीम ने अहम भूमिका निभाई। ऑपरेशन के पश्चात् मरीज का प्रबंधन डॉ। सौरभ सहगल के नेतृत्व में क्रिटिकल केयर यूनिट द्वारा किया गया। मरीज को अब डिस्चार्ज करने की योजना है। ऐसे मामले सिर्फ एम्स भोपाल जैसे खास केंद्रों में ही किए जाते हैं। चूंकि मरीज आयुष्मान की लाभार्थी थी, इसलिए उसे ऑपरेशन के लिए भुगतान नहीं करना पड़ा। स्टॉक ट्रेडिंग के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश, पुलिस ने 45 हज़ार सिमकार्ड के साथ मास्टरमाइंड को दबोचा सबसे ताकतवर है इस देश का पासपोर्ट, जानिए किस रैंक पर है भारत? इन देशों में नहीं है एक भी भारतीय