तेजी से बढ़ रहा बच्चों में दिमागी बीमारी का खतरा

इंग्लैंड में सोमवार को एनएचएस ट्रस्टों में एक नया पायलट प्रोग्राम शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य डिलीवरी के दौरान बच्चों के सिर और दिमाग में चोट लगने से बचाना है। इस प्रोग्राम में 9 मेटर्निटी यूनिट्स हिस्सा लेंगी। इस योजना के जरिए महिलाओं और बच्चों की प्रसव देखभाल को बेहतर बनाने की उम्मीद है।

बच्चों में मस्तिष्क की चोट का मामला

साल 2021 में करीब 2,490 शिशुओं को जन्म के दौरान या बाद में मस्तिष्क में चोट लगने के मामले दर्ज हुए थे। इस समस्या से निपटने के लिए नई योजना तैयार की गई है। पायलट प्रोग्राम का मकसद यह पहचानना है कि प्रसव के दौरान शिशु को कोई परेशानी हो रही है या नहीं। इस प्रोग्राम से कर्मचारियों को ऐसे आपातकालीन हालातों से निपटने में मदद मिलेगी, जैसे कि सिजेरियन डिलीवरी के दौरान बच्चे का सिर मां के पेल्विस में फंस जाना।

प्रोग्राम में शामिल अस्पताल

इंग्लैंड के उत्तर-पश्चिम में 6 अस्पताल इस पायलट प्रोग्राम में हिस्सा लेंगे, जिनमें काउंटेस ऑफ चेस्टर हॉस्पिटल एनएचएस ट्रस्ट, ईस्ट लंकाशायर हॉस्पिटल्स एनएचएस ट्रस्ट, लिवरपूल विमेंस एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट और वॉरिंगटन और हैल्टन टीचिंग हॉस्पिटल्स एनएचएस ट्रस्ट शामिल हैं। इसके अलावा, क्रॉयडन हेल्थ सर्विसेज एनएचएस ट्रस्ट, एप्सम और सेंट हेलियर यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स एनएचएस ट्रस्ट, और सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स एनएचएस ट्रस्ट भी इस पायलट में हिस्सा लेंगे।​ डीएचएससी का कहना है कि अगर यह पायलट प्रोग्राम सफल होता है, तो इसे अगले साल राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किया जा सकता है। महिला स्वास्थ्य मंत्री बैरोनेस गिलियन मेरॉन ने इस पहल को शिशुओं में मस्तिष्क की चोटों से बचने का महत्वपूर्ण कदम बताया। उनका कहना है कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी महिलाओं और शिशुओं को सुरक्षित, व्यक्तिगत और दयालु देखभाल मिल सके।

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