Covid के बाद बढ़ गया है इस बीमारी का खतरा

हाल ही में 'मेडिकल जर्नल एथेरोस्क्लेरोसिस थ्रोम्बोस्लेरोसिस' और 'वैस्कुलर बायोलॉजी' में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट पब्लिश हुई है। इस रिसर्च में 11,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया है, जो साल 2020 में कोविड-19 से संक्रमित हुए थे। यह अध्ययन यूके के 'बायोबैंक' नामक बड़े डेटाबेस पर आधारित है, जिसमें लगभग 25 लाख लोगों के मेडिकल रिकॉर्ड हैं।

रिसर्च में शामिल 11,000 लोग

इस डेटाबेस से रिसर्चर्स ने उन 11,000 से अधिक लोगों की पहचान की, जिनका कोविड-19 के लिए लैब टेस्ट पॉजिटिव आया था। इनमें से 3,000 से ज्यादा लोग गंभीर संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती हुए थे। इन समूहों की तुलना उन 222,000 लोगों से की गई, जिनका कोविड-19 का कोई इतिहास नहीं था।

कोविड-19 का दिल पर प्रभाव

रिसर्च में यह पाया गया कि जिन लोगों को साल 2020 में कोविड हुआ था, उन्हें ठीक होने के बाद भी दिल का दौरा, स्ट्रोक या मृत्यु जैसी बड़ी हृदय संबंधी घटनाओं का जोखिम दोगुना था, उन लोगों की तुलना में जिन्होंने कोविड का संक्रमण नहीं पाया था। अगर किसी व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी थी, तो उनका दिल की बड़ी घटनाओं का जोखिम तीन गुना अधिक था।

कोविड से ठीक होने के बाद बढ़ता जोखिम

जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी, उनके लिए कोविड भविष्य में दिल के दौरे और स्ट्रोक का जोखिम मधुमेह या परिधीय धमनी रोग (PAD) जितना अधिक था। एक रिसर्च में अनुमान लगाया गया है कि मई 2020 और अप्रैल 2021 के बीच 3.5 मिलियन से अधिक अमेरिकियों को कोविड के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था।

कोविड का हार्ट पर असर

हम जानते हैं कि संक्रमण से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। यदि किसी को इन्फ्लूएंजा या अन्य संक्रमण होता है, तो इससे दिल का दौरा पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है। बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण ठीक होने के बाद भी दिल पर असर डाल सकते हैं। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कोविड-19 का दिल के फंक्शन पर इतने सालों के बाद भी असर क्यों रहता है।​ यह रिसर्च यह दर्शाती है कि कोविड-19 केवल एक तात्कालिक समस्या नहीं है, बल्कि इसके दीर्घकालिक प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि कोविड-19 से ठीक होने वाले लोगों को भविष्य में दिल की बीमारियों के लिए सतर्क रहना चाहिए। इसके अलावा, यह भी आवश्यक है कि हम अपनी सेहत का ध्यान रखें और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराते रहें।

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