आग का दरिया पार बड़ी आसानी से हो जाता है... दानिस्ता जो हो न सके नादानी से हो जाता है आग का दरिया पार बड़ी आसानी से हो जाता है हद्दे-नज़र तक इक तन्हाई ख़ाक उड़ाती फिरती है सहरा बेबस अपनी ही वीरानी से हो जाता है जितनी उम्र सराबों का पीछा करने में गुज़रती है उतना गहरा प्यास का रिश्ता पानी से हो जाता है घर से निकलना भी मुश्किल है घर में रहना भी मुश्किल कैसा मौसम बारिश की मनमानी से हो जाता है रोने से दिल हल्का तो हो जाता है लेकिन सोचो वो नुक़सान जो अश्कों की अर्ज़ानी से हो जाता है झील की गहरी ख़ामोशी भी होती है मशकूक मगर दरिया रुसवा मौजों की तुग़यानी से हो जाता है. -भारत भूषण पन्त दानिस्ता : जानबूझकर , सोच-समझकर अर्ज़ानी : व्यर्थ होना, ख़र्च होना मशकूक : संदेहास्पद , जिस पर शक हो तुग़यानी : उतार-चढ़ाव , उथल-पुथल