'सनातन धर्म के उदय का समय आ गया है', बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

मुंबई: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को लोगों से वैदिक जीवन अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि 'सनातन धर्म' के पुनर्जागरण का वक़्त आ गया है तथा दुनिया का दृष्टिकोण भी इसके प्रति बदल रहा है। उन्होंने कहा कि वेद भौतिक एवं आध्यात्मिक ज्ञान की धरोहर हैं और सम्पूर्ण ब्रह्मांड के मूल सिद्धांतों को समाहित करते हैं। भागवत के अनुसार, ऋषियों ने 'विश्व कल्याण' के उद्देश्य से वेदों की रचना की थी।

भागवत ने कहा, "यही वजह है कि मैं कहता हूं कि वेद और भारत एक ही हैं। हमारे पास वेदों का अपार ज्ञान है। हमें इसका अध्ययन करना चाहिए, इसे अपने जीवन में लागू करना चाहिए तथा जितने ज्यादा लोगों तक संभव हो, इसे पहुंचाना चाहिए ताकि वे भी इसके ज्ञान का लाभ उठा सकें।" RSS प्रमुख भागवत यह बातें श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा रचित वेदों के हिंदी भाष्य के तीसरे संस्करण के लोकार्पण के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, "सनातन धर्म के उदय का वक़्त आ चुका है, और हम इस परिवर्तन के साक्षी हैं। योगी अरविंद ने इसकी भविष्यवाणी की थी, और अब हम देख रहे हैं कि विश्व का दृष्टिकोण भी इस दिशा में बदल रहा है।"

भागवत ने आगे कहा कि श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा लिखित वेदों के हिंदी भाष्य का प्रकाशन इस परिवर्तन की दिशा का संकेत है। उन्होंने कहा कि वेदों से धर्म का ज्ञान प्राप्त होता है क्योंकि वेद सम्पूर्ण मानवता को एकता की तरफ ले जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विभाजन और पाप-पुण्य की लड़ाई अस्थायी है। उन्होंने कहा, "धर्म सभी को एक साथ लाता है, सबको गले लगाता है, तथा उन्हें उन्नति की ओर ले जाता है। इसलिए धर्म जीवन का आधार है। जीवन की धारणा धर्म पर ही आधारित होती है। यदि शरीर, मस्तिष्क, बुद्धि और आत्मा में सामंजस्य है, तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है। किन्तु अगर यह संतुलन बिगड़ता है, तो व्यक्ति अस्वस्थ हो जाता है और यदि यह खत्म हो जाता है, तो व्यक्ति का अंत हो जाता है। धर्म संतुलन प्रदान करता है और मुक्ति की राह दिखाता है।"

भागवत ने कहा कि वेदों में सम्पूर्ण ज्ञान समाहित है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "हो सकता है कि वेदों में सीटी स्कैन का सीधा उल्लेख न हो, किन्तु वे 'सिटी स्कैन' जैसे विज्ञान के मूल सिद्धांतों को जानते हैं। आधुनिक विज्ञान के आने से हजारों वर्ष पहले ही वेदों में बताया गया था कि पृथ्वी सूर्य से कितनी दूरी पर है और सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में कितना समय लगता है। वेदों में गणित के गहन ज्ञान का भी वर्णन प्राप्त होता है।"

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