इन 5 जगह जाओगे, तो वापिस नहीं आओगे

दुनिया में वैसे तो कई सारी खूबसूरत जगह है, लेकिन इसके अलावा कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जो खूबसूरत तो हैं, लेकिन साथ में वीरान भी हैं. वजह है यहाँ रहने वाली रहस्यमयी शक्तियां, जिस वजह से यहाँ कोई आता-जाता नहीं है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी ही पांच वीरान जगहों की बारे में, जिसकी खूबसूरती तो आपको आकर्षित करेगी, लेकिन वहां का वीराना आपका मन बदल देगा.

Kiss करते समय इसलिए होती हैं आँखें बंद

आइलैंड ऑफ दी डॉल्स:- मेक्सिको सिटी की बाहर एक आइलैंड है, जहाँ चारों ओर हज़ारों टूटी-फूटी ओर डरावनी गुड़ियाँ आपको दीवारों ओर पेड़ों पर टंगी हुई दिख जाएंगी. कहा जाता है कि इन गुड़ियों को उस आदमी ने टांगा था, जो उस आइलैंड की देखभाल करता था, एक समय उस आइलैंड पर एक छोटी लड़की अजीब सी हालत में मरी हुई मिली थी, उसके साथ एक गुड़िया भी मिली थी. आदमी ने उसकी याद में उस जगह लड़की के पास मिली गुड़िया को टांग दिया. लेकिन उसके बाद उस आदमी को मरी हुई लड़की के सपने आने लगे. अपने जीवन के अगले 50 साल उस आदमी ने हज़ारों गुड़ियाँ टांगने में बिता दिए. उसके बाद वो उसी जगह पर मरा मिला, जहाँ उस लड़की को दफनाया गया था.

हाउस ऑफ द बल्गेरियन कम्यूनिस्ट पार्टी: 1981 में बनी ये जगह सोवियत युग के दौरान कभी बल्गेरियन कम्यूनिस्ट पार्टी का केंद्र हुआ करती थी. लेकिन संघ टूटने के बाद ये जगह वीरान हो गई ओर एक दिन टूट कर गिर गई. आज भी यहाँ वीराना है.

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मार्लबोरो साइक्राइट्रिक अस्पताल:  1931 में खुले इस अस्पताल में अगले 65 साल में अजीबोगरीब वारदातें हुई जिसमें मरीजों का रहस्यमयी ढंग से गायब होना, आत्महत्या और दम घुटकर मरने जैसी घटनाएं शामिल थी. घटनाएं बढ़ने पर जब सरकार ने गुप्त रूप से जांच की तो पता चला कि इस अस्पताल में मरीजों पर पिछले 60 साल से मरीजों का शोषण और गैरकानूनी मेडिकल एक्सपेरीमेंट किए जा रहे थे, इसके बाद अस्पताल पर प्रतिबंध लगा दिया गया. अभी भी ये वीरान पड़ा है.

कोलमैन स्कोप नामीबिया:- जर्मन उपनिवेशों द्वारा बसाया गया कोलमैन स्कोप का ये शहर नामीब मरुस्थल में 1950 के बाद से वीरान पड़ा है, यहां जर्मन हीरे-जवाहरात की खौज में यहां आए थे, अपना काम पूरा हो जाने के बाद वे यहां से चले गए. कई जगहों पर तो यहां मरुस्थल का रेत भर गया है, इस वजह से अब ये जगह और भी डरावनी लगने लगी है, शायद यही वजह है कि लोग यहां आकर रहना नहीं चाहते.

प्रिपेयत शहर, यूक्रेन :  यहाँ शहर 1986 में अपने न्यूक्लियर पावर प्लांट त्रासदी के लिए जाना जाता है, वहां स्थित परमाणु रिएक्टर में बिजली की मात्रा में बढ़ोतरी से पैदा हुई अत्यधिक गर्मी से चार मंजिला इमारत फट पड़ी और परमाणु रेडिएशन ने उत्तरी मध्य यूरोप को भी अपने आगोश में ले लिया. इस घटना में 31 मौतें हुई और चार साल में लगभग चार लाख लोगों को यहां से विस्थापित होना पड़ा. इससे प्रभावित हुए लोगों में अब भी कैंसर और विक्लांगता जैसे लक्षण पाए जाते हैं. ये शहर अभी भी वीरान पड़ा है. 

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