नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में जिस जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महा अधिवेशन दूसरे धर्म और संप्रदायों के बीच दिलों को जोड़ने के लिए न केवल मुस्लिम बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी जुटे थे, उसमें मौलाना अरशद मदनी द्वारा दिए गए एक बयान से बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया है. मौलाना अरशद मदनी ने जब इस कार्यक्रम के मंच से ॐ और अल्लाह को एक बताया और आदम की तुलना मनु से कर डाली, तो उनके विरोध में क्या हिंदू और क्या अन्य धर्मों के धर्माचार्य इस दावे को सिरे से नकारते हुए वहां से चले गए. जैन धर्मगुरु आचार्य लोकेश मुनि ने तो भरी सभा में ही मौलाना मदनी को शास्त्रार्थ की चुनौती दे दी थी. जैन धर्माचार्य आचार्य लोकेश मुनि ने मदनी की बात को फालतू की बात बताया है. उन्होंने कहा है कि इस तरह की फालतू के बाद से प्राचीन इतिहास साबित नहीं होता है. जैन मुनि ने कहा है कि हमारा इतिहास सभी जानते हैं कि कब से सनातन या जैन परंपरा है. ये सभी को मालूम है कि इस्लाम कब इस दुनिया में आया है. मैंने उन्हें इस बात के लिए मौलाना मदनी को शास्त्रार्थ का निमंत्रण दिया है और कहा है कि आओ बैठो हम तुम्हें बताएंगे कि आपका इतिहास कितना पुराना है. वहीं, ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि अगर अरसद अदनी का दावा है कि ॐ और अल्लााह एक ही हैं, तो इस बात को साबित करने के लिए उन्हें अपनी मस्जिदों पर ॐ लिखवा देना चाहिए और इसकी शुरुआत काबा से होनी चाहिए और उन्हें वहां पर सोने के वर्क से ॐ लिखवा देना चाहिए. इसके बाद जामा मस्जिद पर ॐ लिखवाएं. जहा-जहां पर अल्लाह लिखा हुआ है, वहां पर ॐ लिखवाना चाहिए, क्योंकि उनकी नज़र से दोनों एक ही है. 'वामंपथियों ने त्रिपुरा को विनाश के रास्ते पर धकेला..' पीएम मोदी का हमला लगातार चौथी बार टला MCD मेयर का चुनाव, सुप्रीम कोर्ट में 17 फ़रवरी को अगली सुनवाई दुधारू पशुओं की मौत पर 40 हज़ार रुपए देगी सरकार, इस राज्य ने किया ऐलान