न्यूयॉर्क: एड्स के विरुद्ध वैश्विक लड़ाई में महत्वपूर्ण साझीदार भारत ने जीवन भर चलने वाली एंटीरेट्रोवायरल थेरैपी (एआरटी) की जरूरत कम करने के लिए नई दवाइयां एवं उपचार पद्धतियां विकसित करने और निदान में सुधार के लिए अनुसंधान तेज करने की कोशिशों पर बल देने का आग्रह किया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव पॉलोमी त्रिपाठी ने ‘एचआईवी/एड्स पर राजनीतिक घोषणा और एचआईवी/एड्स संबंधी प्रतिबद्धता की घोषणा के क्रियान्वयन’ पर आयोजित की गई महासभा के सत्र में सोमवार को कहा कि, एचआईवी/एड्स बीमारी के विरुद्ध लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. हालांकि एचआईवी/एड्स को 2030 तक जनस्वास्थ्य को संकट के तौर पर दूर करने के हमारी राह में बड़ी चुनौतियां बनी हुईं हैं. उन्होंने कहा कि एचआईवी/एड्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समझने, उसके इलाज एवं रोकथाम में बहुत प्रगति हुई है, लेकिन ‘अब भविष्य की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान को तेज करने का समय आ चुका है. इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों का पता लगाने के लिए बेहतर निदान उपलब्ध कराना, एआरटी कवरेज बढ़ाना, दवाइयां और नई उपचार पद्धतियां विकसित करना शामिल है, ताकि जीवन भर चलने वाली एआरटी की जरुरत कम की जा सके और एचआईवी संक्रमण के नए मामलों को रोका जा सके.’ बीसीसीआई ने की आगामी कार्यक्रमों की घोषणा, 5 टेस्ट, 9 वनडे और 12 ट्वेंटी 20 मैच खेले खेलेगी भारत पाकिस्तान की जीत पर शाहीद आफरीदी ने किया ऐसा ट्वीट ग्लेन मैग्राथ के मुताबिक यह ऑलराउंडर इस बार भारत के लिए निभाएगा युवराज की भूमिका