इस जगत में केवल माँ ही एक ऐसी है जिसके साथ कोई स्वार्थ नहीं होता वह बहुत ही निर्मल व निःस्वार्थ भाव से अपने बच्चे का ध्यान रखती है. यदि बेटा माँ की कोई इच्छा पूरी न कर सका हो तो उस पर रूठती भी नहीं. पर यदि उसकी पत्नी की कोई इच्छा उसके द्वारा पूरी न हुई हो तो वह अपने इस स्वार्थ को लेकर झगड़ा करने लगती है. माँ ऐसी नहीं होती उसका प्रेम अटूट होता है उसका बेटा कितना भी बड़ा हो जाये वह उसे उतना ही प्रेम करती है .जितना बचपन में करती थी. माँ तो माँ होती है उसके जैसा कोई रिश्ता ही नहीं है. आज हम आपको मां बेटे से संबधित एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जिसे पढ़ने के बाद आपका दिल भी भर उठेगा। एक बार एक व्यक्ति ने अपने मन में बड़ी सी आशा रखते हुए स्वामी विवेकानंद से पूछा की संत जी आप मुझे बताये की इस जगत में मां की महानता क्यों गाई जाती है? माँ की महिमा का क्यों लोग बखान करते है ? उस व्यक्ति की बातो को सुनकर स्वामीजी ने मुस्कुराते हुए कहा, की तुम एक काम करो पांच किलो का एक पत्थर ले आओ। संत की बात को मानते हुए वह व्यक्ति पांच किलो का पत्थर ले आया तब संत ने कहा की अब तुम इस पत्थर को अपने सर में रखो उसने ऐसा ही किया पर कुछ समय के बाद वह बहुत परेशान सा हो गया और कहने लगा की संत जी मेने आप से एक प्रश्न पूछा उसकी इतनी बड़ी सजा. तब संत मुस्कराते हुए कहने लगे की बेटा तुम कुछ घंटों में ही परेशान से हो गए तुम माँ के बारे में सोचो जो २ घंटें क्या नौ महीने तक बच्चे को अपने गर्भ में संभाल कर रखती है . अब तुम इसका महत्त्व समझ सकते हो क्योंकि यदि में शब्दों के माध्यम से समझाता तो सायद तुम्हें समझ नही आता इसलिए मेने इस पत्थर के माध्यम से तुम्हें समझाया और कहने लगे की माँ की ममता का कोई अंत नही है. तुम तो दो घंटों में इस बोझ से परेशान हो गए माँ तो जीवन भर अपने बच्चे का ध्यान रखती है. माँ की ममता का कोई पार नहीं खुद रूखा -सुखा खा लेती हे पर अपने बच्चे को हमेशा अच्छा भोजन देती है खुद गीले में सोकर तुम्हे सूखे में सुलाती है तुम्हारी हर इक्च्छा व तुम्हारे लिए हर साधन जुटाती है. माँ और बेटे के रिश्ते जैसा कोई रिश्ता नहीं है. माँ अपना पूरा जीवन बच्चे के लिए न्योछावर कर देती है. माँ के इस ऋण से हम कभी मुक्त नहीं हो सकते . में आपसे बस यही कहता हूँ की आप भी इस माँ की रक्षा के लिए आगे आये आप कभी भी अपनी माँ को दुखी न करे उसके बीच खुशियाँ बांटे. सांईबाबा की बातों से कुलकर्णी को मिला ज्ञान जाति से नहीं इंसान कर्म से महान बनता है इसलिए भगवान शिव धारण करते है बाघ की खाल ख़ूबसूरती के बाद भी आखिर तोता क्यों रहता है पिंजरे में और कौआ आजाद