ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग की सुविधा आजकल लोगों की जीवनशैली का एक प्रमुख हिस्सा बन चुकी है। लोग घर पर खाना बनाने के बजाय ऑनलाइन फूड ऑर्डर करना अधिक पसंद करते हैं। यह आदत हर आयु वर्ग में समान रूप से देखी जा रही है, चाहे बच्चे हों, युवा हों या बुजुर्ग। मिनटों में घर पहुंचने वाले भोजन की यह सुविधा कहीं न कहीं हमारे लाइफस्टाइल पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है, जिससे हमारी सेहत पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। खासकर ऑनलाइन फूड डिलीवरी में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक डिब्बों के कारण सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग का बढ़ता क्रेज और स्वास्थ्य पर असर जोमैटो, स्विगी जैसे बड़े ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के माध्यम से खाने-पीने की चीजें प्लास्टिक और कार्डबोर्ड के डिब्बों में घर तक पहुंचाई जाती हैं। हालांकि, इन डिब्बों में भोजन पैक करके भेजने की यह प्रक्रिया स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। प्लास्टिक डिब्बों में जब गर्म भोजन रखा जाता है, तो इसमें से कई हानिकारक रसायन निकलते हैं, जो भोजन के साथ हमारे शरीर में पहुंचते हैं। इस कारण कई गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जितना गर्म खाना प्लास्टिक में रखा जाता है, उतना ही अधिक उसमें से रसायन निकलते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। प्लास्टिक के डिब्बों में अक्सर बीपीए (Bisphenol A) नामक रसायन पाया जाता है, जो भोजन में मिलकर शरीर में एंडोक्राइन डिस्रप्टर के रूप में काम करता है। इसका मतलब यह है कि यह रसायन शरीर के हार्मोन सिस्टम को प्रभावित करता है और हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है। प्लास्टिक से निकलने वाले हानिकारक रसायन और उनके प्रभाव आज के समय में प्लास्टिक से पूरी तरह से बचना असंभव सा हो गया है। लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग हमारे शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के अनुसार, प्लास्टिक के गर्म होने पर 55 से 60 अलग-अलग रसायन निकलते हैं। जब आप प्लास्टिक कंटेनर में भोजन को गर्म करते हैं, या गर्म भोजन को प्लास्टिक के डिब्बे में रखते हैं, तो उस गर्मी से ये रसायन भोजन में मिल जाते हैं। यह रसायन शरीर में एस्ट्रोजन और अन्य हार्मोनों की नकल करते हैं, जिससे हार्मोनल असंतुलन हो जाता है। हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी बीमारियां हार्मोनल असंतुलन का असर शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों पर पड़ता है। यह असंतुलन कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है, जैसे: पीसीओडी (Polycystic Ovary Syndrome): यह बीमारी महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है और इससे बांझपन का खतरा बढ़ जाता है। डिम्बग्रंथि (Ovarian) समस्याएं: प्लास्टिक से निकलने वाले रसायन महिलाओं में डिम्बग्रंथि से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकते हैं। स्तन कैंसर: प्लास्टिक में पाया जाने वाला बीपीए स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। प्रोस्टेट कैंसर: पुरुषों में हार्मोनल असंतुलन से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। कोलन कैंसर: प्लास्टिक के हानिकारक रसायन कोलन कैंसर का कारण भी बन सकते हैं। कई कैंसर उपचारों में हार्मोन थेरेपी का उपयोग किया जाता है, क्योंकि इन रसायनों से होने वाले हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करना जरूरी हो जाता है। यही कारण है कि विशेषज्ञों का मानना है कि प्लास्टिक पैकेजिंग में भोजन की डिलीवरी बंद होनी चाहिए। शोध और विशेषज्ञों की राय शोधों से यह साबित हुआ है कि प्लास्टिक पैकेट्स में 143 तरह के हानिकारक रसायन पाए जाते हैं, जो महिलाओं में स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, कार्डबोर्ड पैकेट्स में भी 89 कैंसरकारी रसायन पाए गए हैं। यह शोध “Frontiers in Toxicology” जर्नल में प्रकाशित हुआ, जिसमें यह बताया गया कि ये रसायन सिर्फ कैंसर ही नहीं, बल्कि बांझपन और जेनेटिक म्यूटेशन (आनुवंशिक परिवर्तन) का कारण भी बन सकते हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भी खाने की पैकेजिंग में प्लास्टिक के उपयोग पर सख्त निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों का उद्देश्य दुकानदारों और उपभोक्ताओं को प्लास्टिक के उपयोग से बचाना है, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। हाल ही में जोमैटो और स्विगी जैसे बड़े फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के सीईओ ने भी इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है और प्लास्टिक पैकेजिंग के खिलाफ कदम उठाने की बात की है। प्लास्टिक से बचाव के उपाय अगर आप प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से बचना चाहते हैं, तो कुछ विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए: पॉलीप्रोपाइलीन प्लास्टिक: यह एक प्रकार का प्लास्टिक है जो रसायनों के प्रति प्रतिरोधी होता है। इसका उपयोग स्ट्रॉ और बोतल के ढक्कन बनाने में किया जाता है, और यह एसिड से भी प्रतिक्रिया नहीं करता। कांच और स्टील: प्लास्टिक की जगह कांच और स्टील के कंटेनरों का उपयोग सुरक्षित विकल्प है। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर है। नेचुरल फाइबर और बांस: प्लास्टिक की जगह प्राकृतिक फाइबर, बांस, लकड़ी और पेपर जैसे सामग्री का उपयोग करके भी आप प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों से बच सकते हैं। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग हमारी व्यस्त जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी है, लेकिन इसके साथ आने वाले प्लास्टिक पैकेजिंग के खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्लास्टिक से निकलने वाले रसायन हमारे शरीर में हार्मोनल असंतुलन और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इसलिए, हमें प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और कांच, स्टील, बांस जैसे सुरक्षित विकल्पों को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए। इसके साथ ही, फूड डिलीवरी कंपनियों और उपभोक्ताओं को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ भविष्य दिया जा सके। कितनी तरह का होता है दूध? 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