बंगाल-सिक्किम में नए आंदोलन की आहट, इस समुदाय ने माँगा ST का दर्जा

कोलकाता: रविवार को सिलीगुड़ी में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग गोले के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल और सिक्किम के गोरखा समुदायों के प्रतिनिधियों ने बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य गोरखा उप-जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने की मांग को लेकर रणनीति तैयार करना था।

मुख्यमंत्री गोले ने बताया कि इस मुद्दे पर सिक्किम और पश्चिम बंगाल से पांच-पांच सदस्यों की एक टीम बनाई गई है, जो अब आंदोलन का नेतृत्व करेगी और भविष्य की योजना तैयार करेगी। बैठक में भाजपा सांसद राजू बिस्ता, इंद्र हंग सुब्बा और डीटी लेप्चा भी शामिल थे। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले वादा किया था कि 11 गोरखा समुदायों को एसटी का दर्जा दिलाया जाएगा, जो अब तक इससे वंचित हैं। राजू बिस्ता ने इस मुद्दे पर राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि भाजपा और सरकार दोनों पर दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे दार्जिलिंग से सिक्किम तक मार्च शुरू करेंगे।

केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने संसद को बताया कि भारत के महापंजीयक (RGI) ने सिक्किम सरकार के 12 समुदायों को एसटी दर्जा देने के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया है। आरजीआई ने स्पष्ट किया है कि इस मुद्दे पर पहले ही विचार किया जा चुका है और इस पर अब कोई सिफारिश नहीं की गई है। इसके अलावा, सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पूछे गए एक सवाल में भी यह स्पष्ट किया गया कि आरजीआई ने पश्चिम बंगाल सरकार की 2014 की सिफारिश को आगे नहीं बढ़ाया। केंद्र सरकार ने 2016 से अब तक इस मुद्दे पर विचार करने के लिए तीन समितियों का गठन किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है।

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