गुवाहाटी: भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों पर असम स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी कार्रवाई की है। इस ऑपरेशन में असम STF ने बंगाल पुलिस और केरल पुलिस के साथ मिलकर एक संयुक्त अभियान 'प्रघात' चलाया, जिसके तहत 8 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। यह अभियान 17-18 दिसंबर की रात को विशेष रूप से सक्रिय हुआ, जब पुलिस टीमों ने विभिन्न राज्यों में एक साथ छापेमारी की एवं आतंकवादी गतिविधियों को नष्ट करने के प्रयास किए। आतंकियों की पहचान गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों की पहचान मोहम्मद साब शेख, मिनारुल शेख, अब्बास अली, नूर इस्लाम मंडल, अब्दुल करीम मंडल, मोजीबार रहमान, हमीदुल इस्लाम एवं इनामुल हक के रूप में हुई है। ये सभी लोग देशभर में 'स्लीपिंग सेल' स्थापित करने की गतिविधियों में संलिप्त थे। एक 'स्लीपिंग सेल' का मतलब है कि यह आतंकवादी समूह सक्रिय रूप से किसी बड़े हमले की तैयारी में नहीं होते, बल्कि वे समय-समय पर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं तथा जब जरूरत महसूस होती है, तो आतंकवादी हमलों को अंजाम देते हैं। इन लोगों के खिलाफ यह कार्रवाई इस खतरे को रोकने के लिए थी, जो एक संगठित आतंकवादी नेटवर्क द्वारा देश की सुरक्षा को चुनौती दे रहा था। इसमें दो नाम विशेष रूप से ध्यान खींचते हैं—मोहम्मद साब शेख और अब्बास अली। साब शेख और अब्बास अली बांग्लादेशी नागरिक हैं, और ये दोनों पहले भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के रडार पर रहे हैं। अब्बास अली को पहले भी एक फर्जी पासपोर्ट मामले में गिरफ्तार किया जा चुका था। किन्तु इस बार उसे गिरफ्तार किया गया क्योंकि वह आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहा था। आतंकवादी गतिविधियाँ और साजिश असम पुलिस के स्पेशल डीजीपी हरमीत सिंह ने इस अभियान के बारे में जानकारी दी कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद एवं फलाकाटा में इन कट्टरपंथी आतंकवादियों की एक बैठक हुई थी। इन बैठकों में आतंकियों ने हिंदू नेताओं की हत्या की योजना बनाई और साथ ही देश में मजहबी तनाव पैदा करने का षड्यंत्र रचा था। उनका मकसद था कि सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ा जाए और समाज में अशांति फैलाई जाए। पुलिस के अनुसार, इन आतंकवादियों के बीच यह चर्चा हो रही थी कि किस तरह से हिंदू समुदाय के नेताओं को निशाना बनाया जाए, ताकि हिंसा और सांप्रदायिक संघर्ष पैदा किया जा सके। केरल और बंगाल में आतंकवादियों का नेटवर्क जांच में यह भी सामने आया कि ये आतंकवादी केरल एवं पश्चिम बंगाल में सक्रिय रूप से रहकर अपने कार्यों को अंजाम दे रहे थे। इनकी साजिशों के पीछे एक नाम सामने आया—मोहम्मद फरहान इसराक, जो एक प्रमुख आतंकी के तौर पर अलकायदा से जुड़ा हुआ था। फरहान इसराक का नाता ‘अंसरुल्लाह बांग्ला टीम’ (ABT) के सरगना जसीमुद्दीमन से भी था। इस जानकारी के अनुसार, फरहान इसराक और जसीमुद्दीमन दोनों ही एक दूसरे के करीबी थे और आतंकवादी गतिविधियों में एक-दूसरे की मदद कर रहे थे। इन आतंकवादियों के पास से कई आपत्तिजनक दस्तावेज और सामग्री भी बरामद हुई है, जिससे यह साबित होता है कि वे बड़े स्तर पर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे। असम पुलिस और अन्य राज्य पुलिस बलों की यह संयुक्त कार्रवाई देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। असम पुलिस के स्पेशल DGP हरमीत सिंह ने बताया कि इस ऑपरेशन के चलते पुलिस ने इन आतंकवादियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने में अहम सफलता प्राप्त की। पुलिस के अनुसार, ये आतंकवादी मुर्शिदाबाद और फलाकाटा में लगातार बैठकें कर रहे थे, जहाँ उन्होंने RSS के सदस्य और हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने की योजना बनाई थी। इन आतंकवादियों ने अपने साथियों के साथ मिलकर देशभर में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने का प्रयास किया था। कांग्रेस MLA के बेटे-भतीजे ने की भाजपा नेता और उनकी पत्नी से मारपीट, जानिए मामला नहीं रहे हरियाणा के पूर्व CM ओमप्रकाश चौटाला, 89 साल की उम्र में ली अंतिम सांस 'ये FIR राहुल गांधी के खिलाफ नहीं, अंबेडकर के खिलाफ है..', जयराम रमेश का दावा