नई दिल्ली: कृषि कानूनों के विरुद्ध कृषकों के आंदोलन का आज 52वां दिन है। हड्डियां गला देने वाली ठंड और वर्षा के मध्य डटे किसान किसी मूल्य पर अपनी मांगें बिना मनवाए वापस जाने का कोई भी मन नहीं है। वहीं गवर्नमेंट भी अपने रूख पर अड़ी है। कृषक संगठनों और गवर्नमेंट के मध्य शुक्रवार को हुई 10वें दौर की बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। अब 19 जनवरी को फिर से सरकार और कृषकों के मध्य बातचीत होगी। जंहा इस बात का पता चला है कि सुप्रीम कोर्ट तीनों कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली और दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डेरा डाले कृषकों को हटाने संबंधी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करने वाले है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों के मध्य बने गतिरोध को तोड़ने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को सुलझाने के लिए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया जा चुका है। लेकिन किसानों का बोलना है कि वो कमेटी के सामने हाजिर नहीं होने वाले है। किसानों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कमेटी गठित करने के बाद सरकार से बातचीत का कोई मतलब नहीं रह जाता है। जंहा इस बात का पता चला है कि कृषक 26 जनवरी के अपने प्रस्तावित 'किसान परेड' के कार्यक्रम पर अमल करने और दिल्ली कूच करने पर अड़े। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित आंदोलन के कार्यक्रम में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिला है। 18 जनवरी को महिला कृषक दिवस मनाने, 20 जनवरी को श्री गुरु गोविंद सिंह की याद में शपथ लेने और 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान दिवस पर देश भर में राजभवन का घेराव करने का कार्यक्रम जारी रहेगा। मिली जानकारी के अनुसार कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोविड-19 के खतरों के मध्य 26 नवंबर से बड़ी तादाद में कृषक दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अब तक इस मामले पर कोई सहमति नहीं देखने को मिली है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं। पंजाबियों को खालिस्तानी कहने पर घड़ियाली आंसू न बहाएं राहुल, इंदिरा भी कहती थी - हरसिमरत कौर कोरोना वैक्सीनेशन: आज से शुरू होगा विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान, PM करेंगे शुरुआत एमपी सरकार ने मुख्य खरीफ फसलों के 3.9 एमएलएन-टन की खरीद की