इंदौर: कोरोना वायरस से बचने के लिए सरकार हर संभव कोशिशे कर रही है. शहर के अलग-अलग हिस्सों में की जा रही स्क्रीनिंग में शिक्षकों और अध्यापकों की भी मदद ली जा रही है. इसमें कई ऐसे शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई थी, जो काफी उम्रदराज थे या फिर गंभीर बीमारी से पीड़ित थे. इस पर विभाग ने अब निर्णय लिया है कि ऐसे शिक्षकों को ड्यूटी से मुक्त रखा जाएगा. बता दें की मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री हरीश बोयत, शासकीय अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष प्रवीण यादव, अपाक्स के जिला अध्यक्ष रमेश यादव ने कहा है कि उन्हें भी शिक्षकों के समान सुविधाएं मिलें. बताया गया है कि प्रशासनिक अधिकारियों के ध्यान में शिक्षकों की समस्याओं को लाया गया था. जिन शिक्षिकाओं के बच्चों की उम्र 18 माह से कम है, उन्हें भी मुक्त रखा जाएगा. इसके पूर्व संगठन की मांग पर दिव्यांग शिक्षकों को भी मुक्त कर दिया गया है. वहीं लॉकडाउन की वजह से हर क्षेत्र बंद पड़ा हुआ है. इसका असर अदालतों पर भी पड़ा है. लाॅकडाउन के चलते अदालतें बंद होने से वकीलों को भी आर्थिक परेशानी आ रही है. खासकर उन वकीलों के सामने जिनका घर रोज कोर्ट जाने पर कुछ काम करने से ही चलता है. इनकी मदद के लिए एक पत्र याचिका जबलपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल को भेजी गई है. इसमें मांग की गई कि सरकार वकीलों की भी आर्थिक मदद करे. अधिवक्ता कुषाग्र जैन द्वारा भेजी पत्र याचिका में उल्लेख किया गया है कि स्टेट बार काउंसिल की मदद से प्रदेश से ऐसे जरूरतमंद वकीलों की पहचान कर मदद की जा सकती है. लाॅकडाउन 3 मई तक चलेगा. ऐसी स्थिति में उन वकीलों को मदद की जरूरत होगी जो पिटिशन तैयार करवाते, शपथ पत्र बनवाते, किसी वकील से केस लेकर पैरवी करने जाते, दस्तावेज तैयार करवाते हैं. इस राज्य में स्वास्थ्य विभाग के 80 से ज्यादा अधिकारी व डॉक्टर कोरोना से है संक्रमित मध्य प्रदेश के 25 जिलों में कोरोना का कहर बढ़ा एमपी के इस शहर में जमातियों के संपर्क में आए 235 लोगों की हुई पहचान