नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का ऐलान करने के बाद देश के कई राज्यों में हुई हिंसा व आगजनी की जांच की मांग वाली याचिका को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अग्निपथ योजना से संबंधित अर्जी पर दिल्ली उच्च न्यायालय सुनवाई कर रही है, लिहाजा याचिका पर यहां सुनवाई का कोई मतलब नहीं है। दरअसल, वकील विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार की नई सैन्य भर्ती योजना ‘अग्निपथ’ के खिलाफ देश के कई हिस्सों में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों की जांच के लिए शीर्ष अदालत से एक SIT गठित करने का आग्रह किया था। बता दें कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस साल 16 जून को सशस्त्र बलों की तीन सेनाओं में कमीशन अधिकारियों के पद से नीचे के सैनिकों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का ऐलान किया था। इस योजना के तहत तीनों सेनाओं में भर्ती होने वाले जवानों को अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा। इसे ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ भी कहा जाता है। इस योजना का ऐलान होते ही देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद वकील विशाल तिवारी ने इस साल जून में दाखिल की गई अपनी याचिका में कहा था कि ‘नाराज उम्मीदवारों’ ने लखीसराय और समस्तीपुर स्टेशनों पर नई दिल्ली-भागलपुर विक्रमशिला एक्सप्रेस और नई दिल्ली-दरभंगा बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस की कम से कम 20 बोगियों को आग के हवाले कर दिया था और बिहार राज्य में राजमार्गों को बाधित कर दिया था। विरोध की तीव्रता ऐसी थी कि पूर्वी मध्य रेलवे को 164 ट्रेनें निरस्त करनी पड़ीं थी। पटना जंक्शन सहित कई रेलवे स्टेशनों पर बड़ी तादाद में यात्री फंसे हुए देखे गए। इस तरह की कई घटनाओं का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ता ने SIT जांच की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया। अब बॉर्डर पर हिमाकत नहीं कर सकेगा चीन.., LAC पर एयरफोर्स का बेस बना रहा भारत, मिली मंजूरी गोवा: जिस क्लब में हुई थी सोनाली फोगाट की मौत, उसे ढहाने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक 'आज किंग्सवे हमेशा के लिए मिट गया...', नेताजी की प्रतिमा का अनावरण कर बोले पीएम मोदी