इसलिए की जाती है रावण की भी पूजा

नवरात्रि के नौ दिन के बाद दसवे दिन दशहरा मनाया जाता है ऐसा माना जाता है की दशहरे के दिन रावण के अंत के समय के साथ साथ संसार की बुरी शक्तियां भी नष्ट हो जाती है. रावण एक राक्षस होने के बावजूद उसे कई जगह पर पूजा जाता है क्योकि रावण एक ज्ञानी, बुद्धिमान, शक्तिशाली और बलशाली राक्षस था और भी ऐसे गुण है जिसके कारण रावण को पूजा जाता है. रावण के पिता का नाम विश्वश्रवा था जो की एक ब्राह्मण थे इसलिए रावण आधा ब्राह्मण और राक्षस था रावण की माता का नाम कैकशी था, रावण के बचपन का नाम दसग्रीवा था.

रावण ने इच्छावशु वंश के राजा अनरन्या को मारा था. और श्रीराम भी इसी वंश के थे. मरते समय राजा ने रावण को श्राप दिया था कि राजा दशरथ के पुत्र के हाथो तुम्हारा वध होगा.   बंदरो के राजा बाली जब समुद्र के किनारे सूर्य की पूजा कर रहे थे. तब रावण ने बाली को मारने की कोशिश की थी.

रावण सिर्फ युद्ध कला में ही निपुण नहीं था बल्कि उसे वेद और ज्योतिषी का भी बहुत अधिक ज्ञान था.

राम ने जब लंका पर हमला करने के लिए रामसेतु बनाया था तब रावण ने पुरोहित होने का धर्म निभाया था.

रावण शासन-कला और कूटनीति की कला में माहिर था. जब रावण अपनी अंतिम सांसे गिन रहा था तब राम ने अपने भाई लक्ष्मण को रावण के पास यह शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेजा था. ऐसा कहा जाता है की रावण का पुष्पक विमान कोई भी आकार ले सकता था. यह विमान दिमाग की रफ्तार से उड़ सकता था.

 

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