इसलिए द्रोपती को करना पड़ा था पांच पांडवों से विवाह

प्राचीन काल में महाभारत में श्री कृष्ण और पांडवो कि कहानी दर्शायी गयी है अगर महाभारत को ध्यान से पढ़ा और समझा जाए तो आपको प्राचीन काल के पांडवो के बारे में एक बात और जानने को मिलेगी, जिसमे बताया गया है कि राजा द्रुपद कि पुत्री द्रोपती थी जिसकी चर्चा विशेष राज्यों में फैली हुई थी, और इन्ही चर्चाओं कि वजह से कर्ण द्रोपती पर मोहित था लेकिन इसके बाद भी द्रोपती का विवाह पांच पांडवो के साथ हुआ था, किन्तु द्रोपती विवाह के पूर्व किसी और से प्रेम करती थी, जो कि अधिरत के पुत्र कर्ण है.

महाभारत के मुताबिक द्रोपती अपने पूर्व जन्म में विवाहित जीवन से बार-बार असफल होने के कारण उन्हें बहुत आहत पहुंची थी जिसके कारण उन्होंने भोलेनाथ जी कि तपस्या कि और फलस्वरुप शंकर जी से पांच गुण वाले पति मिलने का वरदान प्राप्त किया, जिसके अनुसार वह पांच गुण इस प्रकार है.

जिसमे नैतिक गुण, शारीरक तौर पर मजबूत हो, एक कुशल योद्धा हो, नैन नक्श अच्छे तथा वह दिखने में सुन्दर हो और दिमागी तौर पर अधिक शक्तिशाली अथवा बुद्धिमानी हो, और ये सभी गुण अधिरत के पुत्र कर्ण में मौजूद थे लेकिन नियति ने ऐसा खेल खेला कि द्रोपती को कर्ण का विवाह प्रस्ताव ठुकराना पड़ा और अपने मान सम्मान के खातिर पांच पांडवो से विवाह करना पड़ा.

द्रोपती को पांच गुण वाले पति मिलने के वरदान अनुसार ये पांच गुण कर्ण के अलावा पांच पांडवो में अलग-अलग थे जो कि युधिष्ठिर में नैतिक गुण, भीम में शारीरिक तौर पर मजबूत, अर्जुन एक कुशल योद्धा, नकुल के नैन नक्‍श अर्थात दिखने में सुन्दर और सहदेव की बुद्धिमानी के गुण विद्धमान थे.

 

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