कोलकाता: पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज होने वाला है, लेकिन उससे पहले ही राज्य में सियासी पारा अपने चरम पर है। बंगाल से तृणमूल कांग्रेस (TMC) के शासन को उखाड़ फेंकने के लिए भारतीय जनता पार्टी पूरा जोर लगा रही है। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा भाजपा के कई बड़े नेता बंगाल में पूरी ताकत से प्रचार करने में लगे हुए हैं। वहीं, राज्य की सीएम और TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी लगातार भाजपा को क्लीन स्वीप करने का दावा कर रही है। उधर, 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बंगाल से 18 सीटें जीतने के बाद भाजपा के हौसले बुलंद हैं और वो इस बार बंगाल की कुर्सी पर बैठने की उम्मीद लगाए हुए है, लेकिन बंगाल की जनता किसे अपना सिरमौर बनाएगी ये तो वक़्त ही बताएगा। हालाँकि, इस चुनाव में कांग्रेस-वाम दलों का गठबंधन भी किंग मेकर की भूमिका निभा सकता है। चुनाव हमेशा मुद्दों पर लड़ा जाता है और इस बार भाजपा ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) को अपना मुख्य हथियार बनाया है। इसके अलावा भगवा दल, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद को लेकर भी TMC पर हमला बोल रही है। वहीं ममता की पार्टी भाजपा पर हिन्दू-मुस्लिम और विभाजन की राजनीति करने का इल्जाम लगा रही है। आज हम आपको बंगाल चुनाव के ऐसे ही कुछ मुद्दों के बारे में जानकारी देने जा रहे है, जो राज्य का सियासी भविष्य तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। 1 - CAA-NRC :- जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दिन करीब आ रहे हैं, राज्य में CAA को लेकर मांग तेज होती जा रही है. भाजपा के दिग्गज नेता भी कई बार मंच से यह ऐलान कर चुके हैं कि उनकी सरकार आते ही वो CAA को पूरी ताकत से बंगाल में लागू करेंगे, जो भाजपा के लिए चुनाव में लाभदायक हो सकता है। वहीं, ममता इस कानून का पुरजोर तरीके से विरोध कर रहीं हैं और इसे धार्मिक भेदभाव पर आधारित कानून बता रहीं हैं । उधर NRC को लेकर भी ममता साफ लफ़्ज़ों में कह चुकी हैं कि बंगाल में जितने भी बांग्लादेशी बसे हैं, वो सभी भारतीय हैं और वो भाजपा को उनमे से किसी को भी देश से बाहर नहीं निकालने देंगी। जबकि भाजपा का कहना है कि देश से हर एक घुसपैठिए को चुन-चुनकर बाहर निकाला जाएगा। ये मुद्दा इस बार के चुनाव में अहम भूमिका निभा सकता है। 2- मुस्लिम तुष्टिकरण :- 2019 के लोकसभा चुनाव के समय से ही भाजपा नेता इस मुद्दे पर TMC सरकार को घेरते रहे हैं। इस विधानसभा चुनाव से पहले भी ममता बनर्जी की तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ भाजपा आक्रामक रूप से चुनाव प्रचार में जुटी हुई है। दरअसल, बंगाल से लगातार सरस्वती पूजा और दुर्गा पूजा के दौरान हिंसा की ख़बरें आती रहती हैं और राज्य की TMC सरकार पर आरोप लगता है कि अल्पसंख्यकों को ममता दीदी का संरक्षण प्राप्त है। बता दें कि बंगाल में अल्पसंख्यकों की आबादी लगभग 3 करोड़ है, जो कुल आबादी का 30 फीसद है, अगर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM इस वोट बैंक में सेंधमारी न करे, तो ये पूरे वोट ममता बनर्जी के पक्ष में जाने की संभावना बेहद प्रबल है। बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव में TMC के 43.3 फीसद वोट मिले थे, जिसमे से 23.3 फीसद मुस्लिम समुदाय के वोट थे। 3 - भ्रष्टाचार :- इस मुद्दे पर राज्य की दोनों मुख्य पार्टियां भाजपा और TMC एक दूसरे पर आरोप लगा रहीं हैं। TMC में भ्रष्टाचार का इल्जाम लगाने वाली भाजपा का दामन भी साफ-सुथरा नहीं है। TMC का ही दामन छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले मुकुल राय पर सारदा चिटफंड घोटाले और तृणमूल कांग्रेस MLA सत्यजीत विश्वास की हत्या का आरोप हैं, जिसकी CID जाँच तक चल रही है। वहीं, भाजपा, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी पर टोलबाज़ी यानी उगाही करने का आरोप लगाती रही है। 4- जय श्री राम बनाम जय दुर्गा :- पिछले कुछ दिनों में बंगाल की सियासत में जितना घमासान जय श्री राम के नारे को लेकर मचा है, उतना शयद किसी भी चीज़ को लेकर नहीं है। बीते दिनों पीएम मोदी के कार्यक्रम के दौरान भी जय श्री राम के नारे लगने से सीएम ममता बनर्जी भड़क गईं थी और भाषण देने से इंकार कर दिया था। ममता की खीज का फायदा भाजपा जमकर उठा रही है, हर जगह भाजपा नेता यह कहकर ममता पर निशाना साधते नज़र आते हैं कि आखिर ममता को राम से क्या दिक्कत है। वहीं, TMC ने इसके विरोध में जय दुर्गा का नारा बुलंद किया है, इस नारे के साथ ममता बहुसंख्यकों की नाराज़गी को कम करने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा भाई-भतीजावाद, सियासी हिंसा, घुसपैठ, भी इस चुनाव में प्रमुख मुद्दे होंगे। उधर, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस‑ए‑इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की एंट्री ने बंगाल चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है, क्योंकि AIMIM के चुनाव लड़ने से TMC और कांग्रेस के वोट बैंक में बिखराव हो सकता है। अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बंगाल विधानसभा चुनाव में ऊंट किस करवट बैठता है।