इस वर्ष पितृ पक्ष का आयोजन 17 सितंबर, मंगलवार से शुरू हो रहा है और इसका समापन 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा। पितृ पक्ष का यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ होता है। सनातन धर्म में पितृ पक्ष का अत्यधिक महत्व है, और इसे पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है। इस अवधि में पितरों के श्राद्ध और तर्पण का आयोजन किया जाता है ताकि वे प्रसन्न हों और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे। पितृ पक्ष के 15 दिन बेहद खास माने जाते हैं और इन तिथियों का धार्मिक महत्व अत्यधिक होता है। हालांकि, अगर आप इन 15 दिनों में पूरी अवधि के लिए श्राद्ध या तर्पण नहीं कर पाते, तो भी कुछ विशेष तिथियों पर अनुष्ठान करके पितरों की आत्मा को शांति प्रदान की जा सकती है। चलिए जानते हैं उन विशेष तिथियों के बारे में जो इस पितृ पक्ष में महत्वपूर्ण हैं: भरणी श्राद्ध: भरणी श्राद्ध पंचमी तिथि पर किया जाता है। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जो अविवाहित अवस्था में दिवंगत हो गए हैं। इस वर्ष भरणी श्राद्ध का समय 21 सितंबर को रात 2:43 बजे से शुरू होकर 22 सितंबर को दोपहर 12:36 बजे तक रहेगा। नवमी श्राद्ध: पितृ पक्ष की नवमी तिथि को मातृ श्राद्ध या मातृ नवमी के रूप में जाना जाता है। इस वर्ष नवमी श्राद्ध 25 सितंबर को है। इस तिथि पर मां, दादी, और नानी के श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। यह दिन विशेष रूप से मातृ पितरों को समर्पित होता है। सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध: इस वर्ष सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को है। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती। रसोई में बार-बार गिर रही हैं ये चीजें तो हो जाएं सावधान, अशुभ है संकेत पितृ पक्ष से पहले निपटा लें ये काम, फिर नहीं मिलेगा मौका 18 सालों बाद कन्या में होगा सूर्य-केतु का महामिलन, इन राशियों की चमकेगी किस्मत