बिहार के नेताओं के भाषण में इन तकियाकलाम का बड़ा योगदान है

राजनीती में नेता और नेताओं के बयान बेहद महत्वपूर्ण है या यु कहे कि फिलाहल ताजनीति बयानों पर ही चल रही है. हर राजनेता का अपना अंदाज है और अपना तरीका. वैसे हर व्यक्ति का एक अपना एक तकिया कलाम होता है. तकिया कलाम शब्द लगाने से कुछ लोगों को अपनी बात कहने में आसानी होती है. वर्तमान में बिहार की राजनीति में कई ऐसे नेता हैं जो बगैर तकिया कलाम शब्द के अपनी बातों को नहीं व्यक्त करते हैं. वे बीच-बीच में कुछ न कुछ शब्द जोड़ने लगते हैं. एेसे लोग लोग अपनी सुविधा के अनुसार कुछ शब्द चुन लिये हैं और वाक्य के आगे पीछे या फिर बीच में इसका इस्तेमाल करते हैं. ऐसे नेताओं में रामविलास पासवान, प्रेम कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, तेजस्वी यादव समेत कई बिहार के नेता शामिल हैं. बिहार के कुछ नेताओं के तकिया कलाम शब्द इस प्रकार हैं.

नीतीश कुमार- चलिए, हम अपना काम करते हैं

रामविलास पासवान- जे है से की

लालू यादव- बेफजूला है..

तेजस्वी यादव- करने का काम किया है

प्रेम कुमार- जा कर के

श्याम रजक- कर कर कर के

सुशील मोदी- मित्रों..

शत्रुघ्न सिन्हा- खामोश..

तकिया कलाम का मतलब है ऐसे शब्द या वाक्यांश जो कुछ लोगों की जुबान पर बातचीत करने पर प्रायः मुंह से निकला करता है. पटना यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के प्रोफेसर मटुकनाथ का कहना है कि लोग इस तरह के तकिया कलाम शब्द का इस्तेमाल शब्दों की कमी और आत्मविश्वास की कमी होने के कारण करते हैं और फिर बाद में उनकी आदत जाती है. मटुकनाथ के अनुसार संकल्पशक्ति से इन शब्दों को जुबान से हटाया जा सकता हैं और ऐसे लोग बेहतर हिंदी बोल सकते हैं. अन्य चर्चित तकिया कलाम जैसे मेने कई, कहने का मतलब, वो अपना है की नई, मेरी बात सुनो, मै अपनी बात नहीं कह रहा, एक बात बोलू,और क्या,  आदि का उपयोग आम बोलचाल की भाषा मे बहुत किया जाता है. 

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