संपूर्ण ब्रह्मांड का स्वामी कहा जाता है भगवान व्यंकटेश स्वामी यानि तिरुपति बालाजी जी को। तिरुपति बालाजी जी का मंदिर तिरुमाला पर्वत पर स्थित हैं। इनकी महत्ता चारो कौन मे फैली हैं। यहाँ हर साल करोड़ों लोग मंदिर के दर्शन के लिए आते है। बालाजी जी के मंदिर मे ऐसा कोई भी दिन नहीं होता है जहाँ आपको भक्तो की भीड़ दिखाई न दे यहाँ साल के 12 महीनों भक्त दर्शन करने आते है। भारत के सबसे अधिक तीर्थयात्रियों के आकर्षण का केंद्र तिरुपति बालाजी जी का मंदिर है। इसे विश्व का सर्वाधिक धनी धार्मिक स्थानों में से एक माना जाता है। मंदिर के बारे में अनुश्रुति- बालाजी को प्रभु विष्णु का अवतार माना जाता है। ऐसा कहा जाता है की भगवान विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक तालाब जो तिरुमाला के पास स्थित है इसके किनारे निवास किया था, क्या आप जानते है तिरुपति बालाजी जी का मंदिर सप्तगिरि की 7वीं पहाड़ी पर स्थित है, जो वेंकटाद्री नाम से प्रसिद्ध है। तिरुपति के चारों ओर जो पहाड़ियां स्थित हैं। उसे शेषनाग के 7 फनों के आधार पर बनीं हैं जो 'सप्तगिर‍ि' कहलाती हैं। अनुश्रुति के अनुसार 11वीं शताब्दी में तिरुपति की 7वीं पहाड़ी पर संत रामानुज ने चढ़ाई की थी। क्या आप जानते है प्रभु श्रीनिवास वेंकटेश्वर का दूसरा नाम हैं। प्रभु श्रीनिवास वेंकटेश्वर ने संत रामानुज के सामने प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया था। ऐसा कहा जाता है कि प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद उन्होने 120 वर्ष की आयु तक जीवित थे और जगह-जगह घूमकर रहे और वेंकटेश्वर भगवान की ख्याति फैलाते रहे। मंदिर का इतिहास- 9वीं शताब्दी से इस मंदिर का इतिहास प्रारंभ हुआ था। जब कांच‍ीपुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था, परंतु 15 सदी के विजयनगर वंश के शासन के पश्चात भी इस मंदिर की ख्याति सीमित रही। चेन्नई से 130 किमी दूरी पर तिरुपति स्थित है। और यहा रेलवे स्टेशन भी है। तिरुपति से हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई के लिए सड़क व रेल हैं। तिरुपति मे छोटा-सा हवाई अड्डा भी है। क्या आप जानते है, भगवान राम के वनवास जाने के पीछे नारद मुनि का हाथ है? भूलकर भी ये काम न करें अन्यथा भगवान भोलेनाथ हो जायेंगे क्रोधित एक अनोखा मंदिर जो टूटी हड्डी जोड़ने के लिए विख्यात है ऐसे पैर वालों से जरा बच के रहें नहीं तो हो जायेगी लड़ाई